प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को हिमाचल के मंदिरों व ज्वालामुखी शक्तिपीठ के वर्चुअली दर्शन करेंगे

Jwalamukhi  temple

पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्वालामुखी भी शक्तिपीठ है । यहां सती की महाजिव्हा गिरी थी । इसकी पुष्टिï तंत्र चूड़ामणि से होती है । ज्वालामुख्यां महाजिहा देव उन्मत भैरव: । अर्थात ज्वालामुखी में सती की महााजिहा् है और वहां पर भगवान शिव उन्मत भैरव रूप में स्थित हैं । ज्वालामुखी धूम्रा देवी धूमावती का स्थान है । व इसे 52 शक्तिपीठों में सर्वोच्च शक्ति सम्पन्न स्थान माना गया है ।

शिमला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीपावली के अगले दिन पांच नवंबर को हिमाचल के विभिन्न मंदिरों व शक्तिपीठों के वर्चुअली दर्शन करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी श्रद्धालुओं से भी बातचीत कर सकते हैं। इसके लिये सरकार की ओर से तैयारियां जारी हैं।

 

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दरअसल, प्रधानमंत्री पांच नवंबर को उत्तराख्ांड जा रहे हैं। व उस दिन केदारनाथ धाम में होंगे। मोदी वहां से हिमाचल के मंडी के भूतनाथ व कांगडा जिला के ज्वालामुखी के लाईव दर्शन करेंगे। 

इस कार्यक्रम में शक्तिपीठ ज्वालामुखी में मुख्यातिथि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनके साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जम्वाल, जिलाध्यक्ष संजीव शर्मा,  सांसद कृष्ण कापूर, मंत्री विक्रम ठाकुर, प्रदेश संगठन मंत्री पवन राणा, विधायक रमेश धवाला, प्रदेश सचिव श्रेष्ठा चौधरी, करनैल राणा उपस्थित रहेंगे। 

इसके अलावा प्रदेश के अन्य मुख्य मंदिर भी सूची में हैं। पीएम मोदी प्रदेश के अन्य मुख्य मंदिरों में भी वर्चुअली दर्शन कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में श्री चिंतपूर्णी, श्री नयना देवी, श्री ज्वालामुखी माता, श्री बज्रेश्वरी देवी और चामुंडा नंदिकेश्वर धाम शक्तिपीठ हैं। इसके अलावा शिव मंदिर बैजनाथ सहित बाबा भूतनाथ का भी भव्य मंदिर है। इसके अलावा भी देवभूमि में कई प्रतिष्ठति मंदिर हैं।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्वालामुखी भी शक्तिपीठ है । यहां सती की महाजिव्हा गिरी थी । इसकी पुष्टिï तंत्र चूड़ामणि से होती है । ज्वालामुख्यां महाजिहा देव उन्मत भैरव: । अर्थात ज्वालामुखी में सती की महााजिहा् है और वहां पर भगवान शिव उन्मत भैरव रूप में स्थित हैं । ज्वालामुखी धूम्रा देवी धूमावती का स्थान है । व इसे 52 शक्तिपीठों में सर्वोच्च शक्ति सम्पन्न स्थान माना गया है । इस पवित्र स्थल में देवी ज्योति रूप में विराजमान है । तंत्र विद्या में इसे पवित्र एंव  शक्ति का प्रचण्ड स्थल माना गया है ।

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शिवालिक पहाडिय़ों के आंचल में यह मंदिर स्थापित है । मंदिर  के गर्भगृह में नौ ज्योतियां जल रही हैं । इनके नाम महाकाली , अन्नपूर्णा , चण्डी, हिंगलाज , विंध्यवासिनी , महालक्ष्मी , सरस्वती , अम्बिका तथा अन्जना हैं । इनकी श्रद्घालु परिक्रमा करते हैं । विश्व में शायद यही ऐसा देवालय है जहां प्रतिमा की पूजा नहीं होती । व जल रही ज्योति ही शक्ति का साक्षात स्वरूप है   ।  देश -दुनिया के तीर्थ यात्रियों का यह पसंदीदा तीर्थ बन गया है ।

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 मन्दिर में आरती के समय बड़ा ही अदभुत नजारा देखने को मिलता है। मन्दिर में पाँच आरतियाँ की जाती हैं। पहली मंगल आरती मन्दिर के कपाट खुलते ही सुबह पाँच बजे की जाती है।इस के साथ ही दूसरी आरती और दोपहर की आरती 12 बजे की जाती है। आरती के साथ साथ माता को भोग भी लगाया जाता है। फिर शाम 7 बजे संध्या आरती की जाती है। इस के बाद देवी की शयन शैय्या को तैयार किया जाता है और उसे फूलों और सुगन्धित सामग्री से सजाया जाता है। इस के बाद रात्रि  साढ़े 9 बजे माता की शयन आरती की जाती है जिस में बड़ी संख्या में आये हुये श्रद्धालु भाग लेते हैं।

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