आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अलग-अलग बोर्डों और कॉर्पोरेशनों के अध्यक्षों के इस्तीफे

Bhagwant Mann

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन बोर्डों और कॉर्पोरेशनों से इस्तीफ़ा दे चुके अधिकारियों में मंडी बोर्ड के अध्यक्ष लाल सिंह, पनकोफैड के अध्यक्ष अवतार सिंह और पी.आर.टी.सी. के अध्यक्ष सतविन्दर सिंह भी शामिल हैं।

चण्डीगढ़ ।  मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के गठन के बाद अलग-अलग बोर्डों और कॉर्पोरेशनों के 9 ग़ैर-सरकारी अधिकारी इस्तीफ़ा दे चुके हैं।  मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन बोर्डों और कॉर्पोरेशनों से इस्तीफ़ा दे चुके अधिकारियों में मंडी बोर्ड के अध्यक्ष लाल सिंह, पनकोफैड के अध्यक्ष अवतार सिंह और पी.आर.टी.सी. के अध्यक्ष सतविन्दर सिंह भी शामिल हैं।

 

इनके अलावा पंजाब लघु उद्योग एवं निर्यात निगम (पी.एस.आई.ई.सी.) के निदेशक हरमेश चंद्र, इन्फोटैक के उप अध्यक्ष कार्तिक वडेरा, निदेशक मनजीत सिंह सरोआ, सतीश कांसल, सुरजीत सिंह भून और डॉ. नरेश परूथी भी इस्तीफ़ा दे चुके हैं।

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इससे पहले  पंजाब की नई AAP सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रदेश के सभी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट भंग कर दिए है। सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार अब इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन जिले के DC होंगे। पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक खेमे में बदलाव के साथ साथ बोर्डों, इम्प्रूवमेंट ट्रस्टों में बदलाव होने जा रहे हैं, जिससे आम आदमी पार्टी वाली सरकार ने यह फैसला लिया है। पंजाब सरकार ने आदेश में जारी करते हुए इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के ट्रस्टियों का अधिकार छीनते हुए उनको पद से हटा दिया था। पंजाब में अभी तक बोर्डों औऱ इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में कांग्रेसी नेताओं को कब्जा था। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐसा फैसला लिया।

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पंजाब में करीब 40 बोर्ड, 12 निगम और 28 इंप्रूवमेंट ट्रस्ट हैं। इनमें चेयरमैन और ट्रस्टी पदों पर पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा अपने सीनियर नेताओं को नियुक्त किया गया था। 28 इंप्रूवमेंट ट्रस्टों में जालंधर, लुधियाना, अमृतसर और पटियाला हमेशा अंदरूनी उठापटक और विवादों के चलते सुर्खियों में रहे हैं जबकि बोर्ड-निगमों में मार्कफेड, मिल्कफेड, कोआपरेटिव बैंक आदि ऐसे मलाईदार संस्थान हैं, जहां पिछली सभी सरकारें अपनी पार्टी के सक्रिय और सीनियर नेताओं को पदाधिकारी बनाती रही हैं। 

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इन्हें भारी-भरकम वेतन के साथ-साथ भत्ते, सरकारी आवास, वाहन, कार्यालय, सुरक्षाकर्मी तक दिए जाते हैं। कैप्टन सरकार के समय ऐसे पदाधिकारियों में से कई नेताओं को कैबिनेट रैंक तक दिया गया था। इस बीच, माना जा रहा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार अपने 92 विधायकों में से 18 को कैबिनेट मंत्री बना सकती है लेकिन बाकी विधायकों को एडजस्ट करने के लिए बोर्ड और निगमों का सहारा लिया जा सकता है।

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