Nitish Kumar के विपक्षी एकता के प्रयासों पर Prashant Kishor ने कसा तंज, बोले- चंद्रबाबू का हश्र याद रखना

Prashant Kishor
ANI

इस प्रकार की भी खबरें हैं कि भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए करीब 19 राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद होगी। विपक्षी नेताओं का पहले अप्रैल के अंत में बैठक का कार्यक्रम था।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों देशभर में घूम घूम कर विपक्षी एकता कायम करने के प्रयास कर रहे हैं। इस मिशन में वह कामयाब होंगे या विफल, यह तो समय ही बतायेगा लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के 'मोदी हटाओ' मिशन पर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जोरदार कटाक्ष किया है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी 2019 में उसी भूमिका में थे जिस भूमिका में नीतीश कुमार आने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन चंद्रबाबू का हश्र क्या हुआ था वह सभी के सामने है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार की लंगड़ी सरकार है मगर आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बहुमत में थे। यही भूमिका (नीतीश कुमार की) उन्होंने (चंद्रबाबू नायडू) शुरू की थी कि सभी को मैं साथ लाऊंगा। उसका नतीजा ये हुआ कि उनके 23 विधायक जीते और वो सत्ता से बाहर हो गए। इसलिए नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए।

नीतीश का 'मोदी हटाओ' मिशन

हम आपको बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक साथ लाने के प्रयास के तहत सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ कोलकाता में, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठक की थी। ये बैठकें नयी दिल्ली में नीतीश कुमार द्वारा कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बातचीत के 12 दिनों के भीतर हुई हैं। वहीं सोमवार की बैठकों से यह संकेत मिले हैं कि दोनों क्षेत्रीय दलों (टीएमसी और सपा) के प्रमुख अब कांग्रेस के प्रति अपनी उदासीनता को छोड़ने और 2024 के आम चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन के लिए सहमत हैं। हम आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी के साथ लगभग एक घंटे की बैठक की। नीतीश कुमार के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। नीतीश कुमार के क्षेत्रीय दलों को साथ लाने के प्रयास के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि भारत राष्ट्र समिति ने उन्हें संदेश भेजा है कि पार्टी प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को कांग्रेस के साथ गठबंधन से दिक्कत नहीं है लेकिन वह राहुल गांधी को नेता के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

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विपक्षी पार्टियों की होगी बैठक

इस बीच, इस प्रकार की भी खबरें हैं कि भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए करीब 19 राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद होगी। विपक्षी नेताओं का पहले अप्रैल के अंत में बैठक का कार्यक्रम था। लेकिन 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बैठक टल गयी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अगले महीने किसी समय बैठक बुला सकते हैं और उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं से इस संबंध में बात भी की है। बताया जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खरगे भी आने वाले दिनों में अखिलेश यादव और ममता बनर्जी से बातचीत कर सकते हैं।

शरद पवार का रुख सबको चौंका रहा है

लेकिन इस सबके बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के रुख को लेकर कांग्रेस सकते में है। दरअसल महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास अघाडी के घटकों की एकता पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की टिप्पणी ने राज्य के राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) का महा विकास आघाडी (एमवीए) 2024 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेगा, पवार ने कहा, “मिलकर काम करने की इच्छा है। लेकिन केवल इच्छा ही हमेशा पर्याप्त नहीं होती है। सीट आवंटन, और कोई मसला है या नहीं, इन सब पर अभी बात नहीं हुई है, तो मैं आपको कैसे बता सकता हूं।” बताया जा रहा है कि पवार एमवीए की ‘वज्रमुठ’ (लोहे की मुट्ठी) रैलियों में भी शामिल नहीं होंगे।

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