महामारी के बीच महाराष्ट्र में राजनीति जारी, सरकार को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के अलग-अलग दावे
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सब कुछ यहां भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि नेताओं के बयानों से निकल कर सामने आ रहा है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर से मारामारी सी लग रही है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सब कुछ यहां भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि नेताओं के बयानों से निकल कर सामने आ रहा है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर से मारामारी सी लग रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बयान से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नाना पटोले ने दावा किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी। पटोले ने तो यह भी कह दिया कि आलाकमान ने फैसला किया तो मैं मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए तैयार हूं। जाहिर सी बात है, कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी महाराष्ट्र में एक गठबंधन में शामिल होने के बाद भी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के अलग-अलग दावे हैं। हालांकि, नाना पटोले ने इसके बाद जरूर कहा कि 5 साल तक हो तो ठाकरे की सरकार को कांग्रेस का पूरा समर्थन रहेगा। 5 साल तक हमारी तरफ से सरकार को कोई तकलीफ नहीं है।
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दूसरी ओर एनसीपी के फाउंडेशन डे पर शरद पवार ने भी यह कहा था कि महाराष्ट्र में फिलहाल सरकार स्थित है और वह चलती रहेगी। लेकिन नेताओं और पार्टियों की ओर से आने वाले इस तरह के बयान कहीं न कहीं सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है का संकेत दे रही है। नाना पटोले के बयान ने एक बार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब आने वाले चुनाव में कांग्रेस अलग लड़ना चाहती है तो ऐसे में क्या मुंबई नगर निगम और पुणे नगर निगम के चुनाव में यह तीनों दल एक साथ चुनाव लड़ेंगे? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब तो इन पार्टियों को देना पड़ेगा। लेकिन सवाल यह भी है कि ऐसे बयानों से उद्धव ठाकरे के प्रति पार्टियों के अंदर अविश्वास की कमी साफ तौर पर झलकती है। इसके अलावा महाराष्ट्र में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बीच हुई बैठक को लेकर भी राजनीति गर्म है।
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नाना पटोले के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के संजय रावत ने कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में मुख्यमंत्री का पद पांच साल के कार्यकाल में शिवसेना के पास ही रहेगा और यह कुछ ऐसा है जिस पर कोई ‘समझौता’ नहीं किया जा सकता। राज्य में भाजपा की पुरानी सहयोगियों में से एक शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर भगवा दल का साथ छोड़ दिया था और प्रतिद्वंद्वी राकांपा और कांग्रेस के साथ 2019 में हाथ मिलाकर एमवीए सरकार बनाई थी। नासिक में संवाददाताओं से राउत ने कहा, ‘‘एमवीए सरकार में शिवसेना के पास ही मुख्यमंत्री का पद रहेगा। यह प्रतिबद्धता है और इस पद को साझा नहीं किया जा सकता है। इस पर कोई समझौता नहीं होगा।’’ राउत दरअसल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। पटोले ने कहा था कि 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस राज्य की बड़ी पार्टी होगी। राउत ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि पटोले मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी पद पर पहुंचने की इच्छा रखने में कोई बुराई नहीं है। सभी पार्टियों में कई नेता दावेदार हैं। कांग्रेस में कई नेता देश का नेतृत्व करने में भी सक्षम हैं।’’ राउत ने कहा कि एमवीए ऐसी तीन पार्टियों का गठबंधन है, जिसकी विचारधारा अलग-अलग है। वहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ हाल में हुई बैठक के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल के जवाब में राज्य सभा सांसद ने कहा कि किशोर कई नेताओं से मिले हैं और नरेंद्र मोदी के लिए भी काम कर चुके हैं।
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वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा कि महा विकास अघाडी (एमवीए) के तीनों घटक महाराष्ट्र सरकार चलाने के मुद्दे पर एकजुट हैं लेकिन वर्ष 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ लड़ने पर अबतक फैसला नहीं हुआ है। राकांपा के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने यह टिप्पणी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के उस बयान के एक दिन बाद की है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले विधानसभा सभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के नेतृत्व में एमवीए की सरकार बनी थी जिसमें राकांपा और कांग्रेस साझेदार हैं। मलिक ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एमवीए का गठन न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) के आधार पर हुआ है और उसने जनहित में कई फैसले लिए हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार के प्रदर्शन से आम आदमी संतुष्ट है फिर चाहे वह किसान का मुद्दा हो या कोविड-19 महामारी का प्रबंधन। मलिक ने कहा, ‘‘प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उनकी पार्टी अगला चुनाव अकेले लड़ेगी। वह मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। कोई भी किसी को किसी पद की इच्छा रखने से रोक नहीं सकता। प्रत्येक पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और संगठन को मजबूत करने के लिए काम करना पड़ता है।’’ उन्होंने कहा कि आगामी स्थानीय निकाय चुनाव तीनों पार्टियां एक साथ या अकेले-अकेले भी लड़ सकती है। तीन में से दो पार्टियां भी गठबंधन कर सकती हैं। फैसला स्थिति के अनुरूप लिया जाएगा। मलिक ने कहा, ‘‘ सरकार में तीनों पार्टियां लोगों के कल्याण के लिए एकजुट होकर काम कर रही हैं और अबतक यह फैसला नहीं हुआ है कि वर्ष 2024 का चुनाव कैसे लड़ा जाएगा।’’
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