जातीय जनगणना को बिहार में जारी है सियासी बवाल, CM नीतीश पर बरसे सुशील मोदी, लगाया टालने का आरोप
भाजपा नेता ने कहा कि सरकार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जानकारी पहले से थी और मैट्रिक-इंटर की परीक्षाओं की तिथि भी पूर्व निर्धारित है। इन बातों को केवल जनगणना टालने का बहाना बनाया गया है।
बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत होने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर से भाजपा ने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश सरकार पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने साफ तौर पर नीतीश कुमार पर जातीय जनगणना डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार इसे टालने के लिए लगातार नए नए बहाने ढूंढ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार निकाय चुनाव टाल कर अतिपिछड़ों को वंचित करने के बाद अब जातीय जनगणना टालने के नये-नये बहाने खोज रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना शुरु करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।
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भाजपा नेता ने कहा कि सरकार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जानकारी पहले से थी और मैट्रिक-इंटर की परीक्षाओं की तिथि भी पूर्व निर्धारित है। इन बातों को केवल जनगणना टालने का बहाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने के लिए कैबिनेट का फैसला 2 जून को हुआ, लेकिन अभी तक न मकानों की गिनती और नम्बरिंग हुई, न जिला और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना ऐप और पोर्टल बनाने के लिए परामर्शी की नियुक्ति छह माह पहले हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसका अभी निर्णय हुआ है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने सभी कर्मचारियों को लगाकर जातीय जनगणना का काम एक दिन में पूरा किया, लेकिन नीतीश सरकार इसे बार-बार टाल रही है।
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इससे पहले मोदी ने कहा था कि नीतीश कुमार की जिद की वजह से ही नगर निकाय चुनाव टाले गए हैं। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार की जिद के कारण निकाय चुनाव टल गए, जिससे अतिपिछड़ा वर्ग के सैकड़ों लोग मेयर-डिप्टी मेयर बनने से वंचित रह गए। इसके साथ ही मोदी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भले ही सरकार झुकी और अतिपिछड़ों को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को पुनर्जीवित कर दिया गया, लेकिन अभी तय नहीं कि कब आयोग की रिपोर्ट आयेगी और चुनाव कब होंगे।
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