Himachal Pradesh : पुलिस ने कांग्रेस के बागी नेता के पिता और निर्दलीय विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया

Sukhvinder Singh Sukhu
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आशीष और चैतन्य उन नौ विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। इन विधायकों में कांग्रेस के छह बागी और तीन निर्दलीय शामिल थे। चैतन्य के पिता सेवानिवृत्त नौकरशाह की कथित भूमिका अभी तक ज्ञात नहीं है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने हाल के राज्यसभा चुनावों से संबंधित ‘‘चुनावी अपराधों’’ के लिए एक निर्दलीय विधायक और कांग्रेस के बागी नेता के पिता और अन्य के खिलाफ रविवार को मामला दर्ज किया। राज्यसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। हमीरपुर के निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और गगरेट के अब अयोग्य करार दिए जा चुके विधायक चैतन्य शर्मा के पिता और अन्य के खिलाफ मामला कांग्रेस विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। 

आशीष और चैतन्य उन नौ विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। इन विधायकों में कांग्रेस के छह बागी और तीन निर्दलीय शामिल थे। चैतन्य के पिता सेवानिवृत्त नौकरशाह की कथित भूमिका अभी तक ज्ञात नहीं है। ‘क्रॉस वोटिंग’ के बाद राज्य की कांग्रेस नीत सरकार पर संकट पैदा हो गया और ऐसा प्रतीत हुआ कि उसने विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है। 

पुलिस अधिकारियों ने रविवार को बताया कि कांग्रेस के दो विधायकों की शिकायत पर आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार और चुनाव पर अनुचित प्रभाव डालने का मामला दर्ज किया गया है। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने रविवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के बाद से पूरे घटनाक्रम में चुनावी अपराधों, भ्रष्ट आचरण और आपराधिक साजिश की जांच की मांग की। इस घटनाक्रम पर विधायकों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। 

कांग्रेस के छह बागियों में से एक राजिंदर राणा ने कहा, ‘‘इस रवैये के साथ, मुख्यमंत्री को भविष्य में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’ राणा ने रविवार को फोन पर कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री सोचते हैं कि वह झूठी शिकायतें दर्ज करके दिल जीत सकते हैं, तो वह गलत हैं। इस तरह की राजनीति ने विधायकों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर किया।’’ उन्होंने आगाह किया कि दबाव की रणनीति से मदद नहीं मिलेगी। इस बीच, कांग्रेस के दो विधायकों ने धन के लेन-देन, हेलीकॉप्टर और सुरक्षा बलों के दुरुपयोग और आपराधिक कदाचार के आरोपों की जांच की मांग की है। 

इन दोनों विधायकों ने कहा कि प्रत्यक्ष सबूत उपलब्ध है कि भाजपा हरियाणा और उत्तराखंड में पांच सितारा होटल में ठहरने और हेलीकॉप्टर के माध्यम से यात्रा के लिए भुगतान कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बागियों और निर्दलीय विधायकों के साथ भाजपा विधायकों के जाने के पर्याप्त सबूत हैं और शिकायत में सीता सोरेन बनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला दिया गया है। 

मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी फैसला सुनाया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि धन और लाभ लेने के लिए आपराधिक कार्यवाही से मुक्त नहीं हैं और वह पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग करते हैं। बालूगंज थाने में दोनों कांग्रेस विधायकों से शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए, शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171 ए और सी (चुनावों पर अनुचित प्रभाव) और 120 बी (आपराधिक साजिश), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 8 (लोक सेवक द्वारा अनुचित लाभ उठाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। 

भाजपा के पक्ष में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने वाले कांग्रेस के छह विधायकों-सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो को कटौती प्रस्ताव और बजट के दौरान सदन में मौजूद रहने और सरकार के पक्ष में वोट के लिए जारी व्हिप का उल्लंघन करने पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। तीन निर्दलीय विधायकों में आशीष शर्मा, होशियार सिंह और के एल ठाकुर शामिल हैं। वर्तमान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा प्राप्त भाजपा के दो विधायकों समेत कुल 11 विधायक भाजपा शासित उत्तराखंड के ऋषिकेश में हैं। इन विधायकों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है। 

विधायकों ने मौजूदा कांग्रेस सरकार को अब तक की सबसे अलोकप्रिय और अनुभवहीन सरकार बताते हुए कहा कि उन पर कांग्रेस में लौटने के लिए काफी दबाव डाला जा रहा है। इन विधायकों ने रविवार को यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि वे आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री की मानसिकता पर सवाल उठाया, जो एक तरफ उनसे समझौते के लिए संपर्क कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनके लिए ‘काले सांप’ और ‘चरवाहे’ जैसे बयान जारी कर रहे हैं। 

सार्वजनिक बैठकों के दौरान सुक्खू ने कहा था कि कांग्रेस के छह काले सांपों ने अपना आत्मसम्मान बेच दिया और राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की और बाद में उनकी तुलना एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले चरवाहों से की। इससे पहले, सुधीर शर्मा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सचिव पद से हटा दिया गया था, जबकि राजिंदर राणा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। निर्दलीय विधायकों ने आरोप लगाया कि उनके पुतले जलाए गए और उनके क्रशर पर छापेमारी की गई। 

उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में ‘क्रॉस वोटिंग’ के बाद लाहौल और स्पीति से कांग्रेस के बागी विधायक रवि ठाकुर के घर की ओर जाने वाली सड़क बंद कर दी गई। दो निर्दलीय विधायकों के एल ठाकुर और होशियार सिंह ने कहा कि ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री इस स्तर तक गिर गए हैं और राज्य में इस तरह की राजनीति कभी नहीं देखी गई।’’उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को प्रतिशोधात्मक रवैया नहीं अपनाना चाहिए और बदले की भावना से कार्रवाई करने से बचना चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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