दिल्ली में जहरीली हवा का कहर, पंजाब में थम नहीं रहे पराली जलाने के केस, आज तो बन गया नया रिकॉर्ड
6 नवंबर को, केंद्र सरकार ने किसानों को रोकने के लिए पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया। पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले लोगों के लिए जुर्माना बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया। दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को अब 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये पर्यावरण मुआवजा देना होगा।
राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण पंजाब में सोमवार को पराली जलाने के 1,250 मामले सामने आए। यह इस मौसम में एक ही दिन में पराली जलाने की सबसे अधिक संख्या है। इसके साथ ही राज्य में पराली जलाने के मामलों की कुल संख्या 9,655 तक पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के सबसे प्रमुख कारणों में से एक पराली जलाना रहा है। 6 नवंबर को, केंद्र सरकार ने किसानों को रोकने के लिए पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया। पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले लोगों के लिए जुर्माना बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया। दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को अब 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये पर्यावरण मुआवजा देना होगा।
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आठ नवंबर को पंजाब में खेतों में पराली जलाने की 730 घटनाएं सामने आईं थी। आंकड़ों के अनुसार सोमवार को मुक्तसर जिले में पराली जलाने की 247 घटनाएं दर्ज की गईं, जो राज्य में सबसे अधिक है, इसके बाद मोगा (149), फिरोजपुर (130), बठिंडा (129), फाजिल्का (94) और फरीदकोट (88) का स्थान है। आंकड़ों के अनुसार, 2022 और 2023 में इसी दिन राज्य में पराली जलाने के क्रमशः 701 और 637 मामले दर्ज किए गए। 15 सितंबर से 18 नवंबर तक, पंजाब मेंपराली जलाने के 9,655 मामले आए, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज आंकड़ों की तुलना में लगभग 71 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
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पंजाब में 2022 और 2023 में इसी अवधि के दौरान पराली जलाने के क्रमशः 48,489 और 33,719 मामले आए। अक्टूबर-नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है। चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं बोने के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान नयी फसल की बुवाई के लिए फसल अवशेषों को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
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