IGAS BAGWAL Celebration में शामिल हुए PM Modi, रामदेव और बागेश्वर बाबा के साथ मनाई बूढ़ी दीपावली
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें इस बात का संतोष है कि लगभग लुप्तप्राय हो चुका लोक संस्कृति से जुड़ा इगास पर्व, एक बार फिर से उत्तराखंड के लोगों की आस्था का केंद्र बन रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व इगास मनाया और राज्य के लोगों को इसकी बधाई दी। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के सांसद अनिल बलूनी के आवास पर इस त्योहार में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा योग गुरु बाबा रामदेव और कुछ अन्य धार्मिक व आध्यात्मिक हस्तियों ने भी हिस्सा लिया। मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! दिल्ली में आज मुझे भी उत्तराखंड से लोकसभा सदस्य अनिल बलूनी के यहां इस त्योहार में शामिल होने का सौभाग्य मिला। मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें इस बात का संतोष है कि लगभग लुप्तप्राय हो चुका लोक संस्कृति से जुड़ा इगास पर्व, एक बार फिर से उत्तराखंड के लोगों की आस्था का केंद्र बन रहा है। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड के मेरे भाई-बहनों ने इगास की परंपरा को जिस प्रकार जीवंत किया है, वो बहुत उत्साहित करने वाला है। देशभर में इस पावन पर्व को जिस बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है, वो इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। मुझे विश्वास है कि देवभूमि की यह विरासत और फलेगी-फूलेगी।"
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हम आपको बता दें कि भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने साल 2018 में इगास पर्व को गांव में ही मनाने की मुहिम शुरू की। उत्तराखंड में दिवाली के दिन को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है जबकि कुमाऊं में दिवाली से 11 दिन बाद इगास यानी बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। मान्यता है कि जब भगवान राम 14 वर्ष बाद लंका विजय कर अयोध्या पहुंचे तो लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया और उसे दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया। माना जाता है कि उत्तराखंड क्षेत्र में लोगों को इसकी जानकारी 11 दिन बाद मिली। इसलिए वहां दिवाली के 11 दिन बाद इगास मनाई जाती है।
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