दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन वाले फैसले के खिलाफ NGT में याचिका
याचिका में कहा गया है, ‘‘जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक स्वर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में नाकाम रही थी, ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किये गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को दिल्ली सरकार का लागू करना ना सिर्फ अप्रिय है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।’’
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में सोमवार को एक याचिका दायर कर चार नवंबर से 15 नवंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की ‘‘सम-विषम (नंबर) योजना’’ लागू करने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सम-विषम योजना के प्रभाव का आकलन किया और यह पाया कि इसके क्रियान्वयन अवधि में शहर की वायु गुणवत्ता इसके लागू नहीं रहने की अवधि की तुलना में और खराब हो गई।
A petition challenging the odd-even vehicle rationing scheme of the Delhi Government, moved in the National Green Tribunal (NGT). pic.twitter.com/pzXtiBNEfI
— ANI (@ANI) September 16, 2019
याचिका में कहा गया है, ‘‘जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक स्वर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में नाकाम रही थी, ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किये गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को दिल्ली सरकार का लागू करना ना सिर्फ अप्रिय है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।’’ गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 सितंबर को कहा था कि सम- विषम योजना सात सूत्री पराली प्रदूषण पर कार्य योजना का हिस्सा है।
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