कोई समझौता नहीं, चुनाव से पहले अजित पवार का सेकुलर विचारधारा वाला बयान, बढ़ा देगा महाराष्ट्र का सियासी तापमान?
पवार की टिप्पणियों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में महायुति (महागठबंधन) के भविष्य और इसकी दिशा, खासकर इसके नेतृत्व और वैचारिक रुख के संदर्भ में चल रही चर्चाओं को और तेज कर दिया। महायुति गठबंधन में शिवसेना, भाजपा और अजित पवार का राकांपा गुट शामिल है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के साथ अपने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गुट के साथ अपने गठबंधन को लेकर खुलकर बात की और साफ किया कि वो धर्मनिरपेक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कोई समझौता नहीं करेंगे। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की वैचारिक अनुकूलता के बारे में बढ़ते सवालों के बीच अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अजित पवार ने एनसीपी के स्टैंड का मजबूती से बचाव करते हुए कहा कि गठबंधन के बावजूद, पार्टी अपने धर्मनिरपेक्ष आदर्शों से कोई समझौता नहीं करेगी।
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पवार की टिप्पणियों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में महायुति (महागठबंधन) के भविष्य और इसकी दिशा, खासकर इसके नेतृत्व और वैचारिक रुख के संदर्भ में चल रही चर्चाओं को और तेज कर दिया। महायुति गठबंधन में शिवसेना, भाजपा और अजित पवार का राकांपा गुट शामिल है। कई पक्षों की ओर से एनसीपी के पारंपरिक धर्मनिरपेक्ष रुख को अपने सहयोगियों की हिंदुत्व वाली आइडियोलाजी के साथ जोड़ने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। अपने इंटरव्यू में पवार ने साफ किया कि जब हमने गठबंधन पर चर्चा शुरू की थी, तो हमने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारी विचारधारा 'धर्मनिरपेक्ष' है और हम इस पर बिल्कुल भी समझौता नहीं करेंगे।
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अपने रुख का बचाव करते हुए अजित पवार ने विपक्षी गठबंधनों के मामले में कथित दोहरे मानदंड की ओर इशारा किया। उनके अनुसार, कांग्रेस और विभाजन से पहले की एनसीपी ने पहले धर्मनिरपेक्षता के उसूलों को ताक पर रखते हुए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बैनर तले शिवसेना के साथ सरकार बनाई थी। पवार ने सवाल किया कि जब कांग्रेस और राकांपा, शिवसेना के साथ सरकार में थे तब यह धर्मनिरपेक्ष विचारधारा और प्रगतिशील विचार कहां थे? अजित पवार का ये बयान चुनाव से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि एनसीपी, विशेष रूप से शरद पवार के नेतृत्व में लंबे समय से खुद को अल्पसंख्यकों, दलितों और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले मतदाताओं की पार्टी के रूप में स्थापित करती रही है। हालाँकि, अजित पवार ने अब बीजेपी-शिवसेना हिंदुत्व वाली आइडियोलाजी वाली पार्टियों के साथ गठबंधन कर लिया है, जिससे कुछ पर्यवेक्षकों ने पार्टी की वैचारिक स्थिरता पर सवाल उठाया है।
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