महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ा देश, Women Reservation Bill को संसद की मंजूरी, पीएम ने सभी का जताया आभार

Rajya sabha
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अंकित सिंह । Sep 21 2023 10:11PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्थक चर्चा में भाग लेने और इस बिल का समर्थन करने के लिए सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया है। आपको बता दे कि पिछले 27 सालों में ऐसे कई मौके आए जब इस तरह के बिल को सदन में लाने की कोशिश हुई लेकिन कभी सफलता नहीं मिल सके।

देश के गौरवशाली इतिहास में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण प्रदान करने वाले बिल को आज संसद की मंजूरी मिल गई है। बुधवार को यह पहले ही राज्यसभा में पास हो चुका था। आज भारी समर्थन के साथ यह राज्यसभा में भी पारित हो गया। राज्यसभा में विधायक के पक्ष में 215 वोट पड़े। इसके खिलाफ एक भी वोट नहीं गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्थक चर्चा में भाग लेने और इस बिल का समर्थन करने के लिए सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया है। आपको बता दे कि पिछले 27 सालों में ऐसे कई मौके आए जब इस तरह के बिल को सदन में लाने की कोशिश हुई लेकिन कभी सफलता नहीं मिल सके।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन के लिए सभी सांसदों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि देश के जन-जन में नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है यह नारी शक्ति को विशेष सम्मान है। विधायक के प्रति सभी की सकारात्मक सोच से नई ऊर्जा हासिल हुई है। राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नारी शक्ति को एक विशेष सम्मान सिर्फ विधेयक पारित होने से मिल रहा है ऐसा नहीं है बल्कि इस विधेयक के प्रति देश के सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच होना, ये हमारे देश की नारी शक्ति को नई ऊर्जा देने वाली है। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार को उस समय पंचायत राज में 33 प्रतिशत आरक्षण लाने का श्रेय देना चाहती हूं। परिणामस्वरूप, हमने पंचायत स्तर पर विकास देखा, जहां आज कई राज्यों द्वारा 33% आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है...पंचायत स्तर पर महिलाओं के योगदान को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं से संबंधित मामलों में हम कोई राजनीति नहीं करते। यह प्रधानमंत्री के लिए विश्वास का विषय है इसलिए हम वो सब कुछ करते हैं जो हमने किया है। चाहे वह अनुच्छेद 370 हो, तीन तलाक हो या अब महिला आरक्षण विधेयक.

 

लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक बृहस्पतिवार को राज्यसभा में चर्चा एवं पारित किए जाने के लिए पेश किया गया। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने इसे पेश किया। विधेयक को सत्तारूढ़ भाजपा का ‘चुनावी एजेंडा’ और ‘झुनझुना’ करार देते हुए कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस सदस्य रंजीत रंजन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस विधेयक के पीछे षडयंत्र नजर आता है क्योंकि सरकार साढ़े नौ साल बाद इसे लेकर आई है।


 


- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान संशोधन विधेयक यदि आज संसद से पारित हो जाता है तो 2029 में लोकसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं की मौजूदगी सुनिश्चित हो जाएगी। नड्डा ने कहा कि महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने जो रास्ता चुना है, वह सबसे छोटा और सही रास्ता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यह मानते हैं कि आज अगर यह विधेयक पारित करते हैं तो 2029 में 33 प्रतिशत महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी। यह बात पक्की है।’’


- राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल सहित कुछ दलों ने महिलाओं को लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण देने की सीमा पर प्रश्न उठाते हुए सुझाव दिया कि इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत या अधिक भी किया जा सकता है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी विजयसाई रेड्डी ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसे (महिला आरक्षण की सीमा को) 33 प्रतिशत तक ही सीमित क्यों रखा जाए? उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक क्यों नहीं की जा सकती? भारत राष्ट्र समिति के डॉ. के केशव राव ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण के पक्ष में खड़ी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामारम करीम ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार यह विधेयक चुनावी कारणों से लायी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को महिला आरक्षण विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग करते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। 

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