भारतीय हितों को निशाना बनाने की योजना में अफगानिस्तान में सक्रिय पाक आतंकी समूह, फ्रांसीसी थिंक टैंक की रिपोर्ट में खुलासा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्लेषणात्मक सहायता प्रतिबंध निगरानी समिति की 11वीं रिपोर्ट में सामने आया है, तालिबान और अल कायदा के बीच संबंध गहरे हो रहे हैं और तालिबान के संरक्षण में काम करना जारी रखते हुए अलकायदा अफगानिस्तान में अपनी गतिविधियां बढ़ा सकता है।
अफगानिस्तान से 20 साल बाद अमेरिकी फौज वापस जा रही हैं, अफगानिस्तान में चल रही बदलाव की प्रक्रिया का प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा। भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करता है जो कि समावेशी और अफगान-नेतृत्व एवं अफगान नियंत्रित होगा। लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद लगातार ये कय़ास लग रहे थे कि पाकिस्तान तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगा है ताकि इससे भारत को नुकसान पहुंचा सकता है। अब ऐसा ही एक रिपोर्ट में सामने आया है। दरअसल, फ्रांसीसी थिंक टैंक 'सेंटर फॉर एनालिसिस ऑफ टेररिज्म' द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर केंद्रित पाकिस्तानी आतंकी समूह अफगानिस्तान में सक्रिय हैं। जिसका मकसद भारत और उसके हितों को प्रभावित करना है। अफगानिस्तान से अमेरिका के सैन्य वापसी अभियान के बाद तालिबान के फिर से प्रभावी होने की संभावना है और संभवत: लश्कर और जैश जैसे पाकिस्तान समर्थित समूहों के तालिबान के साथ सक्रियता दिख सकती है।
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इसके अलावा, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्लेषणात्मक सहायता प्रतिबंध निगरानी समिति की 11वीं रिपोर्ट में सामने आया है, तालिबान और अल कायदा के बीच संबंध गहरे हो रहे हैं और तालिबान के संरक्षण में काम करना जारी रखते हुए अलकायदा अफगानिस्तान में अपनी गतिविधियां बढ़ा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पाक स्थित आतंकी समूहों और वैश्विक आतंकी संगठनों के बीच वैश्विक संबंधों को उजागर करने की मांग की गई थी। रिपोर्ट के सामने आने की टाइमिंग इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर जाने पर आतंकवादी गतिविधियों के फिर से पैर पसारने की सूरत में भारत को अस्थिरता का डर है।
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'पाकिस्तानी जिहादियों और ग्लोबल जिहाद' शीर्षक वाली रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि जेईएम और लश्कर जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों ने लंबे समय से तालिबान, अल कायदा और आईएसआईएस सहित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध बनाए रखा है। रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि चरमपंथियों ने पाकिस्तान की अल कायदा यूनिट से ऑर्डर प्राप्त कर 2020 में यहां हमले की योजना बनाई थी जिसे नाकाम कर दिया गया था। पाकिस्तान में अल कायदा इकाई के लिए उनके आदेश ले लिए। पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा का बढ़ता प्रभाव उपरोक्त समूहों को कट्टरपंथी युवाओं की भर्ती के लिए एक तैयार जमीन प्रदान करेगा, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में समन्वित आतंकी हमलों को अंजाम देने के इच्छुक हैं।
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पाकिस्तान अभी भी तालिबान पर प्रभाव रखता है और भारत के पाकिस्तान के साथ संबंध को देखते हुए यह कहना मुश्किल नहीं है कि वह तालिबान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करेगा। बहरहाल तमाम चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए भारत को अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में खुद को और मजबूती से स्थापित करना होगा, ताकि तालिबान पर नजर रखी जा सके। भारत को अपने खुफिया तंत्र को और मजबूत करना चाहिए। साथ ही, पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना होगा और अफगानिस्तान में लोकतंत्र को स्थापित करने लिए अपनी ओर से हर प्रयास जारी रखना होगा।
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