फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म से खाना मंगाना हो सकता है सस्का, GST Council के इस कदम से मिल सकती है राहत
जोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म को राहत मिलने की उम्मीद है। जीएसटी परिषद जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए खुशखबरी ला सकती है। इस संबंध में कई रिपोर्ट सामने आई है। फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए जीएसटी में कटौती हो सकती है।
आजकल फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म या एप्स से खाना मंगवाना काफी आम हो गया है। लोग झट से ऑर्डर कर अपनी फेवरेट डिश मंगवा लेते है। अब यूजर्स को फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म या एप्स से खाना मंगवाना सस्ता पड़ सकता है। इसके पीछे जीएसटी काउंसिल एक कारण हो सकती है।
दरअसल माना जा रहा है कि जोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म को राहत मिलने की उम्मीद है। जीएसटी परिषद जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए खुशखबरी ला सकती है। इस संबंध में कई रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए जीएसटी में कटौती हो सकती है।
सीएनबीसी टीवी 18 की रिपोर्ट के अनुसार, परिषद खाद्य वितरण शुल्क पर जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत कर सकती है। वर्तमान में यह 18 प्रतिशत कर स्लैब के अंतर्गत आता है। परिषद की बैठक शनिवार, 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली है और तब निर्णय की घोषणा की जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, कर कटौती 1 जनवरी, 2022 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। हालांकि, इस सब में एक चेतावनी है। कर में कमी का मतलब है कि खाद्य वितरण कंपनियां अब जीएसटी दाखिल करते समय इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए पात्र नहीं होंगी। लेकिन फिर भी यह सरकार द्वारा पूरी की गई एक बड़ी मांग है क्योंकि उद्योग जीएसटी दरों के मामले में रेस्तरां के बराबर लाने की मांग कर रहा है।
टैक्स नोटिस पर ज़ोमैटो
हाल ही में ज़ोमैटो को 2019-22 की अवधि के लिए लगभग 804 करोड़ रुपये के कर और जुर्माने के भुगतान के लिए कर नोटिस दिया गया था। तो क्या अब महाराष्ट्र के ठाणे में CGST अधिकारियों द्वारा दावा निपटाया जाएगा। अगर प्रस्तावित कर कटौती लागू भी हो जाती है, तो यह केवल विचाराधीन अवधि के अंतिम तीन महीनों पर लागू होगी क्योंकि इसे केवल 1 जनवरी, 2022 से लागू करने का प्रस्ताव है। इसलिए इस संबंध में खाद्य वितरण कंपनी के लिए बहुत कम या कोई राहत नहीं है।
जहां तक उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने की बात है, तो इसकी संभावना बहुत कम है क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ न उठा पाने का मतलब यह हो सकता है कि कंपनियों को कुछ मामलों में करों का अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। इस विषय पर थोड़ी और स्पष्टता के लिए शनिवार को होने वाली परिषद की बैठक पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
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