Patna में विपक्षी दलों की बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘अच्छी शुरुआत’ : तृणमूल कांग्रेस

Opposition parties meeting
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तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसके बाद अगली बैठक की तारीख और स्थान पटना में तय किया जाएगा। इसके अलावा, यही सलाह है कि कोई भी बैठक को लेकर अटकल न लगाए।

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि बिहार के पटना में शुक्रवार को आयोजित होने जा रही विपक्षी दलों की बैठक 2024 के आम चुनाव से पहले ‘‘एक अच्छी शुरुआत’’ है। तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर ‘‘अलोकतांत्रिक एवं तानाशाही नीतियों’’ का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी दलों के एकजुट होने के महत्व पर जोर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई बैठक में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन, शरद पवार, महबूबा मुफ्ती और हेमंत सोरेन एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है। जद-यू ने पिछले साल भाजपा का साथ छोड़ दिया था।

विपक्षी दलों की बैठक के लिए ममता बनर्जी के साथ तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी होंगे। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ‘‘पटना पहुंचने से पहले ही एक अच्छी शुरुआत... देश के संविधान को बचाने के लिए काम कर रहे सभी दल कई मुद्दों पर एकमत हैं। अभी के लिए, हमारे पास एक तारीख, एक स्थान और एक समझौता है कि बैठक में हर पार्टी के प्रमुख रहेंगे।’’ तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसके बाद अगली बैठक की तारीख और स्थान पटना में तय किया जाएगा। इसके अलावा, यही सलाह है कि कोई भी बैठक को लेकर अटकल न लगाए।’’

पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक आयोजित करने का विचार बनर्जी द्वारा रखा गया था, जिन्होंने अप्रैल में कोलकाता में नीतीश कुमार से मुलाकात के दौरान जयप्रकाश नारायण को याद करते हुए उनका जिक्र किया था। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखेंदु शेखर रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि लक्ष्य यह होना चाहिए कि विपक्षी एकता जल्द से जल्द आकार ले क्योंकि 2024 के आम चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने देश के लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है और संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। अगर भाजपा की विरोधी और उसके खिलाफ संघर्ष कर रहीं पार्टियां एकजुट होकर लड़ने में विफल रहती हैं, तो यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा।’’

रॉय ने कहा कि विपक्षी एकता को एकजुट करने के प्रयास पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार के चयन के दौरान ही शुरू हो गए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्षी दलों के मोर्चे के नेतृत्व का मुद्दा इसमें बाधा पहुंचाएगा, इस पर रॉय ने कहा, ‘‘सिर्फ मीडिया और भाजपा को इसके बारे में चिंता है। न तो विपक्षी दल और न ही इस देश के लोग इस तरह के नेतृत्व के मुद्दे को लेकर चिंतित हैं।’’ नाम नहीं जाहिर करने का अनुरोध करते हुए एक अन्य तृणमूल नेता ने कहा कि बैठक में मणिपुर में जारी संकट पर भी चर्चा होगी, जहां जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है। इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस की भारी जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में वहां कांग्रेस का समर्थन करेगी, जहां वह मजबूत है।

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जद-यू के नेता कुमार पिछले साल अगस्त में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद से ही ‘‘विपक्षी एकता’’ पर जोर दे रहे हैं। भाजपा ने प्रस्तावित विपक्षी बैठक को ‘‘निरर्थक कवायद’’ करार दिया और कहा कि इस तरह के ‘‘अवसरवादी गठबंधन से कोई नतीजा नहीं निकलेगा’’। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘‘ये निरर्थक हैं। हमने 2014 और 2019 में ऐसे प्रयास देखे और परिणाम हमारे सामने हैं। इस देश के लोग भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भरोसा करते हैं। वे कभी भी अस्थिर और अवसरवादी गठबंधन को वोट नहीं देंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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