Parliament Diary: Ambedkar के संदर्भ में Amit Shah के बयान को विपक्ष ने बनाया हंगामे का आधार, नहीं चली संसद
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया और उन्हें चुनाव में भी हराया। उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया। हमने हमेशा उनका सम्मान किया।''
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबेडकर के संदर्भ में की गयी एक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के जोरदार हंगामे के कारण आज संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही। लोकसभा की बात करें तो आपको बता दें कि कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर आठ मिनट पर दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे जैसे ही शुरू हुई, कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आंबेडकर के बारे में शाह की कथित टिप्पणी को लेकर हंगामा शुरू कर दिया और उनसे (गृहमंत्री से) माफी की मांग करने लगे। शोर-शराबे के बीच ही पीठासीन अधिकारी पीसी मोहन ने जरूरी दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए। उसके बाद उन्होंने विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बजकर आठ मिनट पर बृहस्पतिवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले आज सुबह 11 बजे भी विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के दो मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे थे। उन्होंने ‘जय भीम’ के नारे भी लगाए।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया और उन्हें चुनाव में भी हराया। उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया। हमने हमेशा उनका सम्मान किया।’’ मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाबासाहेब से संबंधित कार्यों के कारण ये लोग बाबासाहेब का नाम मजबूरी में ले रहे हैं। लेकिन सदन में हंगामा जारी रहने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 11 बजकर दो मिनट पर ही बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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वहीं राज्यसभा में भी हंगामे की स्थिति रही। बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब सवा दो बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। सभापति ने उन्हें सदन की कार्यवाही चलने देने के लिए कहा। उन्होंने भाजपा के डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल से शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। अग्रवाल ने ‘मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव’ से संबंधित मुद्दे पर अपनी बात शुरु की। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने गृह मंत्री से माफी की मांग को लेकर हंगामा तेज कर दिया।
सभापति ने उनसे शांत रहने की अपील करते हुए कहा ‘‘बाबा साहेब का सम्मान हम सब करते हैं। वह हम सबके लिए प्रात: वंदनीय, सदैव आदरणीय और अनुकरणीय हैं। देश और देश के बाहर, हर जगह, उनका सम्मान होता है।’’ संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा ‘‘हमने कल सदन में अच्छी तरह सुना है। गृह मंत्री ने उनके लिए श्रद्धा जाहिर की और सम्मान व्यक्त किया था। उन्होंने बताया था कि कांग्रेस ने बाबा साहेब का किस तरह अपमान किया।’’
रीजीजू ने कहा ‘‘जब वह जीवित थे तब उन्हें 1952 में साजिश के तहत कांग्रेस ने चुनाव में हराया। उप चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें पुन: हराया। अगर बाबा साहेब को कांग्रेस नहीं हराती तो वह 1952 के बाद भी चुनाव जीत कर सदन के सदस्य बने होते।’’ रीजीजू ने कहा कि उनके परिनिर्वाण के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें भारत रत्न नहीं दिया। उन्हें अपमानित कर कांग्रेस ने देश के साथ खिलवाड़ किया है।’’ संसदीय मामलों के मंत्री ने कहा कि कांग्रेस आज कौन से मुंह से बाबा साहेब के अपमान की बात करती है, यह तो खुद उसने किया है, बार बार किया है। ‘‘बार बार आंबेडकर का नाम ले कर कांग्रेस छल-कपट करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलने वाला बौद्ध हूं। सन 1951 में बाबा साहेब ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। 71 साल बाद मोदी ने दूसरे बौद्ध को मंत्री बनाया। हम आंबेडकर के बताए रास्ते पर चलते हैं। ये लोग उनके नाम का वोट बैंक के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं।’’ विपक्ष के हंगामे के बीच रीजीजू ने कहा कि बाबा साहेब से संबंधित पांच तीर्थ स्थलों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में काम चल रहा है और मुंबई में 2026 में अरब सागर के तट पर उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित होगी। ‘‘इसके बाद पता चलेगा कि मोदी सरकार उनका कितना सम्मान करती है।’’
बाद में सदन में व्यवस्था बनते न देख धनखड़ ने 11 बज कर 13 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर दो बजे उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सभापति धनखड़ ने कहा कि उन्हें सत्ता पक्ष की ओर से अनुरोध मिला है कि अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा से पहले बैंकिंग संबंधित एक विधेयक को चर्चा कर पारित किया जाए। इसके उपरांत संसदीय कार्य मंत्री रीजीजू ने बताया कि क्यों बैंकिंग संबंधित विधेयक को विचार के लिए पहले लिया जा रहा है। सभापति ने इसके बाद कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को व्यवस्था का प्रश्न उठाने की अनुमति दी। तिवारी ने कहा कि आज जो भी सदस्य यहां सदन में बैठा है वह बाबा साहेब के कारण ही बैठा है। उन्होंने कहा कि कल गृह मंत्री ने संविधान निर्माता को अपमानित किया है। इसके बाद रीजीजू ने कहा कि कल गृह मंत्री ने इस बारे में विस्तार से और स्पष्टतापूर्वक बताया था कि किस प्रकार कांग्रेस ने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया था। रीजीजू ने कहा, ‘‘11-12 सेकेंड का वीडियो क्लिप निकाल कर और पूरा वक्तव्य हटाकर देश को गुमराह करने की जो कोशिश की जा रही है, मैं उसका खण्डन करता हूं।’’ इसके बाद रीजीजू ने वही बातें दोहरायीं जो उन्होंने सुबह कही थीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने डॉ. आंबेडकर का जो अपमान किया था, क्या वह उसके लिए देश से माफी मांगने को तैयार है?
इसके बाद आसन की अनुमति से नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘‘हम कोई नया मुद्दा उठाकर नहीं लाये। जो मुद्दा यहां (राज्यसभा में) अमित शाह ने उठाया था, उन्होंने कहा था कि इतना आप उठ-उठकर बोलते हो (डॉ आंबेडकर के बारे में), अगर आपने इतना ही नाम भगवान का लिया होता तो सात जन्म में आप स्वर्ग में चले जाते। ....इसलिए आपने बाबा साहेब का अपमान किया है। संविधान का अपमान किया है।’’ हालांकि संसदीय कार्य मंत्री रीजीजू ने खरगे की बात से असहमति जताते हुए दावा किया कि नेता प्रतिपक्ष सदन को गुमराह कर रहे हैं।
इस बीच, सदन के नेता जेपी नड्डा ने इस मुद्दे पर कहा कि विपक्ष के नेता यह बात कहकर देश को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने कल कहा था कि कांग्रेस ने डॉ आंबेडकर का जीते जी तिरस्कार किया था। नड्डा ने कहा, ‘‘आपने (कांग्रेस ने) हमेशा उनको (आंबेडकर को) पीड़ित किया, उन्हें चुनाव में हरवाने का काम किया। आज आप उनका नाम लेते हैं किंतु जब आप सरकार में थे और आंबेडकर जिंदा थे तो आपने उनकी बात कभी नहीं मानी।’’
इस बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्हें शांत करवाते हुए सभापति धनखड़ ने कहा कि कल जो कुछ हुआ, पूरे सदन के सामने हुआ था। धनखड़ ने कहा कि वीडियो का जो अंश जारी किया गया, उसे उन्होंने भी देखा है। सभापति जब अपनी बात कह रहे थे तब विपक्षी सदस्यों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के कारण धनखड़ ने बैठक को दोपहर करीब सवा दो बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
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