उमर अब्दुल्ला ने जमात इस्लामी नेताओं के जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने पर कहा, देर आए दुरुस्त आए
‘‘हम चाहते थे कि जमात पर से प्रतिबंध हटाया जाए और वे अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी अच्छा है कि वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।’’
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि प्रतिबंधित जमात इस्लामी के नेताओं का जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भाग लेने का फैसला समय के अनुकूल है।
अब्दुल्ला ने अनंतनाग जिले के पहलगाम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें बताया गया था कि चुनाव हराम (निषिद्ध) है, लेकिन अब चुनाव हलाल (मान्य) हो गए हैं। देर आए दुरुस्त आए।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि लोकतंत्र ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘35 वर्षों तक जमात इस्लामी ने एक खास राजनीतिक विचारधारा का पालन किया, जो अब बदल गई है। यह अच्छी बात है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि जमात पर से प्रतिबंध हटाया जाए और वे अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी अच्छा है कि वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।’’
एक सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा कि यह मतदाताओं को तय करना है कि अगर जमात पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को समर्थन देती है तो वह किस पार्टी का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के भाजपा के साथ संबंध सार्वजनिक हैं। यदि जमात पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का समर्थन करती है, तो मतदाता को पता चल जाएगा कि वे किस पक्ष का समर्थन कर रहे हैं।
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