जुर्म की दुनिया में बढ़ी नाबालिगों की संख्या, पुलिस को दिखा रहे अंगूठा

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इन दिनों गैंगस्टर्स में नया चलन भी देखने को मिल रहा है। कई गैंगस्टर्स नाबालिगों के जरिए ही जुर्म कराए जाने को काफी सेफ मान रहे है। इसके लिए गैंगस्टर्स उन लड़को को सेफ मानते हैं जो नशे के आदि होते हैं या जो चोरी आदि करते हुए पकड़े जाते है।

जब से भजनपुरा हत्या कांड सामने आया है तभी से माया का जिक्र लगातार हो रहा है। इस भजनपुरा हत्याकांड के मुख्य आरोपी समीर उर्फ माया को देखकर साफ है कि वो बॉलीवुड फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला में विवेक ऑबरॉय के किरदार से मूल काफी हदतक प्रभावित था।

जानकारी के मुताबिक माया की कहानी बिलकुल फिल्मी है। उसके माता पिता की मौत तभी हो गई थी जब वह 15 वर्ष की उम्र से भी कम का था। इसी बीच जुर्म की खौफनाक दुनिया से उसका वास्ता हुआ। इस दलदल से निकलना उसके लिए मुश्किल हो गया। देखते ही देखते झपटमारी, लूट, हत्या, कातिलाना हमला, ये सब उसके लिए बाएं हाथ के खेल हो गए। उसके खिलाफ इन सभी मामलों में 10 से अधिक मामले दर्ज है। वहीं नाबालिग होने के कारण वो पकड़ा जाता तो भी जल्दी ही बाल सुधार गृह से बाहर निकल जाता, जिससे उसके हौंसले लगातार मजबूत होते गए और वो जुर्म की दुनिया में घुसता चला गया। नाबालिग होने के बाद भी कई बड़े गैंगस्टर्स को उसने अपना आदर्श माना और उनकी ही राह पर चल पड़ा।

आरोपी ने बनाया बच्चा गैंग

पुलिस अफसर ने बताया कि फायरिंग करना नाबालिगों का शौक बन गया है। ये भी कहा गया कि माया लूट और झपटमारी करने वालों से भी वसूली करता था। शातिर माया ने अपना खुद का बच्चा गैंग बनाया था। वो आम तौर पर इंस्टाग्राम पर बदमाशी के कई किस्से शेयर करता था। जानकारी के मुताबिक जिन बच्चों को उसने ग्रुप में शामिल किया था वो भी उसकी तरह ही थे जो जुर्म की दुनिया में उतरे थे। ऐसे में पुलिस का कहना है कि नाबालिगों की संख्या बीते कुछ समय से जुर्म की दुनिया में बढ़ती जा रही है।

नाबालिगों की संख्या हत्याकांडों में बढ़ी

दिल्ली में कई नाबालिग अब संगीन अपराध में शामिल होते जा रहे है। संगीन जुर्म करने में इनकी संख्या बढ़ रही है। लूट, रेप, हत्या जैसे अपराध भी ये बड़ी संख्या में कर रहे है।

गैंगस्टर्स मान रहे नाबालिगों को सेफ

इन दिनों गैंगस्टर्स में नया चलन भी देखने को मिल रहा है। कई गैंगस्टर्स नाबालिगों के जरिए ही जुर्म कराए जाने को काफी सेफ मान रहे है। इसके लिए गैंगस्टर्स उन लड़को को सेफ मानते हैं जो नशे के आदि होते हैं या जो चोरी आदि करते हुए पकड़े जाते है। ऐसे लड़कों को शुरुआत में गाड़ियों और बड़े होटलों की चकाचौंध दिखाकर जुर्म की दुनिया की तरफ खींचा जाता है। इन्हें हत्या और जबरन वसूली करवाने में इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि इनमें से अधिकतर नाबालिगों को गैंगस्टर्स सोशल मीडिया से काम के लिए चुनते है। पुलिस को कई नाबालिगों ने बताया है कि वो सोशल मीडिया पर इन गैंगस्टर्स की प्रोफाइल को फॉलो करते थे। इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है ताकि ये गोली चला सके और हत्या को अंजाम दे सके।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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