मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर उंगली उठाने वाली महिला आईएएस को नोटिस

[email protected] । Apr 12 2017 4:59PM

खुले में शौच से मुक्त भारत अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताने वाली मध्य प्रदेश की महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी को राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) भारत अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताने वाली मध्य प्रदेश की महिला आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी को राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। देश के एक अंग्रेजी अखबार में इस महीने के पहले सप्ताह में एक लेख छपा था, जिसमें वर्ष 1994 बैच की आईएएस अधिकारी दीपाली ने केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किये गये ओडीएफ की आलोचना की थी। इसमें उन्होंने इस अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताने के साथ-साथ इसके सफल होने पर भी यह कहकर सवाल उठाया था कि जहां पीने का पानी नहीं वहां शौचालय में कहां से पानी डाला जाएगा।

इसी लेख को लेकर उन्हें यह कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दीपाली रस्तोगी मध्य प्रदेश आदिवासी कल्याण विभाग की आयुक्त हैं और वर्तमान में भोपाल में पदस्थ हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यहां बताया, ‘‘अधिकारी दीपाली रस्तोगी को अखिल भारतीय सेवा नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए मंगलवार को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने यह नोटिस अंग्रेजी अखबार में छपे उस लेख के लिए दीपाली को दिया है, जिसमें उन्होंने खुले में शौच से मुक्त भारत अभियान पर अपने विचार व्यक्त किये थे और उनसे जवाब भी मांगा गया है। ओडीएफ पर अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित लेख में दीपाली ने लिखा, ‘‘गोरों के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले में शौच मुक्त अभियान चलाया, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है।’’

आईएएस अधिकारी दीपाली आगे लिखती हैं, ‘‘गोरे कहते हैं कि खुले में शौच करना गंदा है तो हम इतना बड़ा अभियान ले आए। हम मानते हैं कि शौचालय में पानी की जगह पेपर का उपयोग करना गंदा होता है तो क्या गोरे भी शौचालय में पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने लगेंगे?’’ उन्होंने लिखा है, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में खेत पर छोड़ा गया शौच तेज धूप में सूख जाता है। अगले दिन वह खाद बन जाता है। अगर ये लोग टैंक खुदवाकर शौचालय बना भी लें तो उसमें लगने वाला पानी कहां से लाएंगे। ग्रामीणों को लंबा फासला तय करके पानी लाना होता है। इतनी मेहनत से अगर कोई दो घड़े पानी लाता है तो क्या वह एक घड़ा शौचालय में डाल सकता है? बिलकुल नहीं।’’

हालांकि, लेख के अंत में दीपाली ने स्पष्ट किया, ‘‘मुझे गलत मत समझिये। मैं जो कुछ भी लिख रही हूं, वह शौचालयों के लिए है। कुल मिलाकर मैं भी शहर की रहने वाली हूं। हम जिस तरह से इस अभियान को (ओडीएफ) चला रहे हैं, उससे मैं असहज हूं।’’

इसी बीच वहीं, भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव इस मुद्दे पर दीपाली के समर्थन में आ गए हैं। प्रदेश कांग्रस अध्यक्ष अरुण यादव ने बताया, ‘‘कोई भी शौचालय बनाने के खिलाफ नहीं है। लेकिन दीपाली ने जो मुद्दे उठाये हैं, वे बिल्कुल सही हैं। आज भी हम पीने के पानी के लिए जूझ रहे हैं, तो शौचालय के लिए पानी कहां से लाएंगे।’’

इससे पहले प्रहलाद पटेल ने कहा, ‘‘आईएएस दीपाली रस्तोगी ने ओडीएफ को लेकर व्यवहारिक बातें कहीं हैं। आईएएस से पहले मैं ये मुद्दा संसद में उठा चुका हूं। जिन इलाकों में पीने का पानी नहीं है, वहां भला कोई फ्लश में पांच लीटर पानी क्यों डालेगा? सरकार को इस बार पर ध्यान देने की जरूरत है।’’

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