Poorvottar Lok: Manipur अब शांत, Meghalaya CM ने CAA पर दिया बड़ा बयान, FMBAP को लेकर Arunachal CM ने की PM Modi की सराहना

Conrad Sangma
ANI

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की विकास गतिविधियों के केंद्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राष्ट्र के प्रति, विशेषकर खेल आयोजनों में प्रसिद्धि दिलवने में इस क्षेत्र के महत्व और योगदान की भी सराहना की।

लोकसभा चुनावों के निकट आते ही केंद्र की मोदी सरकार के मंत्री पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए पिछले 10 वर्षों में किये गये कामों का ब्यौरा जनता के समक्ष रखने में लग गये हैं तो साथ ही देश के अन्य भागों की तरह पूर्वोत्तर में भी दल बदल कर चुनाव मैदान में उतरने की कवायद तेज हो चली है। इस सप्ताह मणिपुर कमोबेश शांत रहा तो दूसरी ओर मेघालय के मुख्यमंत्री ने सीएए को लेकर एक बड़ा बयान दे डाला है। इस सप्ताह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर रहे जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम

असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने विधानसभा में एक नया विधान प्रस्तावित किया है जिसका उद्देश्य गैर-वैज्ञानिक उपचार पद्धतियों का उन्मूलन है। प्रस्तावित कानून में दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले व्यक्तियों द्वारा "जादू से उपचार" को अपराध घोषित करने का प्रावधान है, जिससे यह संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बन जाएगा। इसमें दोषियों के लिए पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा संभाले जाने वाले गृह एवं राजनीतिक विभागों की ओर से संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने सदन में 'असम जादू से उपचार (बुराई रोकथाम) प्रथा विधेयक, 2024' पेश किया। विधेयक का उद्देश्य समाज में सामाजिक जागृति लाना और भयावह प्रथाओं से मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक स्वस्थ, विज्ञान-आधारित सुरक्षित वातावरण बनाना है। विधेयक के 'उद्देश्यों और कारणों के विवरण' के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति की बीमारी, विकार या स्वास्थ्य संबंधित किसी भी दिक्कत को ठीक करने के लिए जादुई उपचार के प्रसार प्रचार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होगा। इसमें किसी भी व्यक्ति के जादू के जरिये उपचार से बीमारियों को ठीक करने का कोई झूठा दावा करने से संबंधित कोई भी विज्ञापन देने पर रोक का भी प्रावधान है। इसके उद्देश्य और कारणों में कहा गया है, "आम लोगों का शोषण करने के भयावह इरादे से किसी भी व्यक्ति द्वारा जादु से उपचार की बुरी प्रथा उक्त विधेयक के तहत एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है।" विधेयक में कहा गया है कि पहली बार दोषी पाए जाने पर सजा एक साल की होगी जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या 50,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है। इसमें कहा गया है कि इसके बाद दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को पांच साल तक की कैद या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है। इसमें कहा गया है कि सतर्कता अधिकारियों को जादू से उपचार की जांच करने का काम सौंपा जाएगा। इसमें कहा गया है ऐसे अधिकारियों का पद उप-निरीक्षक से नीचे नहीं होगा।

इसके अलावा, असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एएससीपीसीआर) के अध्यक्ष श्यामल प्रसाद सैकिया ने कहा कि असम बालिकाओं के अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव से जूझ रहा है। सैकिया ने मंगलवार को बाल विवाह उन्मूलन की रणनीति बनाने के लिए एएससीपीसीआर द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान कहा "जिन समाज में अशिक्षा, गरीबी और लैंगिक भेदभाव मौजूद हैं, वहां बाल विवाह की समस्या चुनौती बनी हुई है।" सैकिया के कहा कि बाल विवाह के खिलाफ सख्त रुख के लिए पहचानी जाने वाली असम सरकार इस सामाजिक समस्या से निपटने के अभियान को तेज कर रही है। बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए, असम सरकार ने पिछले साल बाल विवाह के खिलाफ दो चरण में अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप कई गिरफ्तारियां हुईं और मामले दर्ज हुए। पिछले साल फरवरी में पहले चरण में 3,483 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 4,515 मामले दर्ज किए गए थे, इसके बाद अक्टूबर में दूसरे चरण में 915 गिरफ्तारियां हुईं और 710 मामले दर्ज किए गए थे।

इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को दावा किया कि पिछले 10 वर्ष में जलमार्गों के विकास के लिए शुरू की गयी 90 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं। बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्री ने युवाओं से उन्नत जलमार्गों की संभावनाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया विशेषकर माल की सस्ती ढुलाई के लिए और नौवहन संबंधी अवसरों का लाभ करियर बनाने के लिए करने के मामले में। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की 284 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने कहा, ''समयबद्धता एवं गुणवत्ता क्रियान्वयन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज में सुशासन की निशानी है।’’ बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्री ने कहा, ''मुझे खुशी है कि मोदी जी के पिछले 10 सालों के शासन काल में जलमार्ग विकास के लिए शुरू की गयी 90 प्रतिशत परियोजनाएं उनके कार्यकाल में ही पूरी हो गयी हैं। बाकी एक-दो परियोजनाएं इस साल के अंत तक पूरी हो जाएंगी।’’ सोनोवाल ने कहा कि मोदी सरकार के तहत जलमार्गों की संभावनाओं को फिर से पता लगाया जा रहा है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर इस क्षेत्र की संभावना को तलाशने एवं उनका उपयोग करने विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जलमार्गों में सुधार करने तथा यात्री एवं माल ढुलाई के वास्ते उसका उपयोग बढ़ाने के लिए पुराने कानूनों को संशोधित किया जा रहा है तथा नये कानून बनाये जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मालों की सस्ती ढुलाई के वास्ते जलमार्गों के बढ़ते इस्तेमाल के अलावा नौवहन गतिविधियों में वृद्धि से इन क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर भी सामने आये हैं।

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इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की विकास गतिविधियों के केंद्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राष्ट्र के प्रति, विशेषकर खेल आयोजनों में प्रसिद्धि दिलवने में इस क्षेत्र के महत्व और योगदान की भी सराहना की। उन्होंने दूरदर्शन असम की पुनर्गठित क्षेत्रीय समाचार इकाई के उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से कहा, "जब हम 'अष्ट लक्ष्मी' के बारे में बात करते हैं तो हमारा मतलब हमारे आठ पूर्वोत्तर राज्यों से है। ये आठ राज्य मोदी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की 'लुक ईस्ट पॉलिसी' की जगह 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' शुरू की। उन्होंने दावा किया, 'संप्रग सरकार ने केंद्र में अपने 10 साल के कार्यकाल में इस क्षेत्र की अनदेखी की थी लेकिन हमारी सरकार इसके लिए लगातार काम कर रही है।' मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने, संचार नेटवर्क में सुधार, नए अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए तय समय से अधिक काम कर रही है। असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेल की मेजबानी पर उन्होंने खेल जगत में क्षेत्र की शक्ति की सराहना की। खेल और युवा कल्याण मंत्रालय भी संभाल रहे ठाकुर ने कहा, ''इसमें 200 से अधिक विश्वविद्यालयों के 4,500 से अधिक खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। असम ने पहले भी प्रमुख खेल आयोजनों की मेजबानी की है। मुझे खुशी है कि पूरे क्षेत्र में विश्वविद्यालय खेल हो रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर हमेशा से खेलों में एक शक्ति स्थल रहा है और इस क्षेत्र के खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है।

इसके अलावा, असम की बराक घाटी के तीन जिलों के लोगों की मांग के बाद जल्द ही सिलचर में एक बांग्लादेश वीजा केंद्र खोला जाएगा। पड़ोसी देश के एक राजदूत ने सोमवार को यह जानकारी दी। गुवाहाटी में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त रुहुल अमीन ने कहा कि कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों वाली बराक घाटी से बांग्लादेश के लिए वीजा की काफी मांग है, इसलिए यहां एक वीजा केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है। सिलचर कछार जिले का मुख्यालय है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश वीजा केंद्र कब खुलेगा इसकी अभी तारीख तय नहीं हुई है,लेकिन यह जल्द ही खोला जाएगा।

मणिपुर

मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में सुरक्षाकर्मियों द्वारा महिला प्रदर्शनकारियों पर कथित तौर पर अत्यधिक बल प्रयोग करने के विरोध में बुधवार को वकीलों ने इंफाल पश्चिम जिले में चीराप अदालत परिसर के सामने धरना दिया। सुरक्षा बलों ने हथियार लूट के मामले में छह लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर चीराप अदालत परिसर के अंदर कथित तौर पर आंसू गैस के गोले दागे थे। पुलिस आरोपियों को अदालत लेकर आई थी और उनकी हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। ऑल मणिपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पुयम तोमचा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) द्वारा बिजली के डंडों और अन्य घातक हथियारों से महिला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग की कड़ी निंदा करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि विरोधस्वरूप आज अदालतों में लोगों ने कामकाज नहीं किया। पुयम ने कहा, ‘‘हम सुरक्षाबलों सहित सभी से अदालत की पवित्रता का सम्मान करने और हिंसा में शामिल नहीं होने की अपील करते हैं।’’ मणिपुर उच्च न्यायालय और स्थानीय अदालतों के प्रदर्शनकारी वकीलों ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में इस घटना की जांच कराने की मांग भी की।

इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने चुराचांदपुर जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर इंटरनेट सेवाओं का निलंबन आदेश पांच दिनों के लिए और बढ़ा दिया है। एक पुलिसकर्मी के निलंबन के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी और मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। मुख्य सचिव विनीत जोशी द्वारा जारी गृह विभाग के एक आदेश में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार ने चुराचांदपुर जिले में मौजूदा कानून- व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद जिले के पूरे राजस्व क्षेत्र में वीपीएन के माध्यम से दी जाने वाली इंटरनेट सेवाओं का निलंबन जारी रखने का फैसला किया है।’’ आदेश में मोबाइल सेवा प्रदाताओं को भी इसका अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। सरकार ने सबसे पहले 16 फरवरी को इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी निलंबन लगाया था। मणिपुर के चुराचांदपुर में 15 फरवरी को हिंसा भड़क उठी थी और उग्र भीड़ ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) और उपायुक्त (डीसी) के कार्यालयों वाले सरकारी परिसर में घुसकर वाहनों को आग लगा दी थी और तोड़फोड़ की थी, जिसके बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम दो लोग मारे गए और 30 घायल हो गए थे। यह हिंसा एक ‘हेड कांस्टेबल’ के निलंबन के बाद हुई थी। जिला पुलिस के एक ‘हेड कांस्टेबल’ को एक वीडियो में कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखे जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था। प्रदर्शनकारियों ने हेड कांस्टेबल को सेवा में बहाल करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उनका निलंबन "अनुचित" था।

इसके अलावा, मणिपुर में एक आदिवासी निकाय ने एक वीडियो में कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखे गए एक हेड कांस्टेबल के निलंबन पर सरकारी कर्मचारियों से काम नहीं करने की अपील को वापस ले लिया है। चुराचांदपुर स्थित इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने सोमवार देर रात जारी एक बयान में कहा, "आम जनता के हित में राज्य सरकार के कार्यालयों में काम करने पर रोक तत्काल हटायी जायेगी।" आईटीएलएफ द्वारा सरकारी कर्मचारियों से काम पर न आने का आग्रह करने के बाद सोमवार को चुराचांदपुर और पड़ोसी फिरजावल जिलों में राज्य सरकार के कार्यालयों में कम कर्मचारी काम पर पहुंचे। आईटीएलएफ ने कहा कि जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) तथा जिलाधिकारी (डीसी) के प्रतिस्थापन और एक हेड कांस्टेबल के निलंबन को रद्द करने की उसकी मांग पूरी नहीं की गई है। बयान के अनुसार, "उनकी सुरक्षा के कारण जिले के डीसी और एसपी को जाने के लिए कहा गया था। यह सामने आया है कि उन्होंने जिले में लौटने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी है। अब वे अपनी सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार हैं।" आईटीएलएफ ने 15 फरवरी को चुराचांदपुर में डीसी और एसपी कार्यालयों के आवास वाले एक सरकारी परिसर में हुई हिंसा पर भी अफसोस व्यक्त किया और दावा किया कि यह आदिवासी निकाय की जानकारी के बिना हुआ। उसने लोगों से "इस तरह के आक्रामक व्यवहार में शामिल होने से बचने" का आग्रह किया। बयान में कहा गया, 'आईटीएलएफ को 15 फरवरी, 2024 की शाम को हुई घटना पर खेद है। यह हमारी जानकारी के बिना हुआ। हमारा अनुरोध है कि लोग आगे से इस तरह के आक्रामक व्यवहार में शामिल होने से बचें। जो कोई भी भविष्य में इस तरह का शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा उसे अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसे इसका परिणाम भुगतना होगा।' हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल के निलंबन के बाद 15 फरवरी को चुराचांदपुर में एक भीड़ ने एसपी एवं डीसी कार्यालय स्थित सरकारी परिसर में घुसकर वाहनों को आग लगा दी और सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ की। इसके बाद सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोग मारे गए और 30 घायल हो गए। पुलिस के एक आदेश में कहा गया है कि 14 फरवरी को सोशल मीडिया पर "हथियारबंद लोगों" और "गांव के स्वयंसेवकों के साथ बैठने" का एक वीडियो प्रसारित होने के बाद हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को "अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित" कर दिया गया है। पुलिस ने सियामलालपॉल को अनुमति के बिना थाना नहीं छोड़ने के लिए कहा है। उसके वेतन और भत्ते को नियमों के अनुसार स्वीकार्य निर्वाह भत्ते तक सीमित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हिंसा की निंदा की और कहा कि एसपी को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और डीसी के क्षतिग्रस्त बंगले की मरम्मत की जा रही है। सिंह ने हिंसा के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि सभी सरकारी रिकॉर्ड सुरक्षित हैं। राज्य सरकार ने घटना के तथ्यों और परिस्थितियों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए हैं और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

मेघालय

मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने बुधवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2,029 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया। उन्होंने 2028 तक मेघालय को 10 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की एक कार्ययोजना वाले दस्तावेज को ‘मिशन 10’ कहा है। संगमा के पास वित्त विभाग भी है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि कुल प्राप्तियां 27,072 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिनमें राजस्व प्राप्तियां 23,515 रुपये और पूंजीगत प्राप्तियां 3,557 करोड़ रुपये हैं। उन्होंने कहा कि 3,527 करोड़ रुपये की उधारी को छोड़कर कुल प्राप्तियां 23,545 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। कुल व्यय 27,072 करोड़ रुपये है, जिसमें राजस्व व्यय 19,653 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय 7,419 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1,498 करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान को छोड़कर कुल व्यय 25,574 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज भुगतान 1,236 करोड़ रुपये और पेंशन भुगतान 1,865 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था। संगमा ने सदन में बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘इसलिए, मैं वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2,029 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के साथ बजट पेश कर रहा हूं, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का लगभग 3.83 प्रतिशत है।’’

इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा है कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) पर उनकी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है। उन्होंने सीएए लागू होने की स्थिति में विदेशी प्रवासियों के अन्य राज्यों से मेघालय में प्रवेश की समस्या से निपटने के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) के विस्तार की वकालत की। संगमा ने एक साक्षात्कार में कहा कि सीएए से संबंधित उनकी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि, कानून लागू होने की स्थिति में पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के विदेशी प्रवासियों के मेघालय में शरण लेने की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राज्य में आईएलपी या वैसी ही किसी प्रणाली की आवश्यकता है। सीएए के बारे में पूछे जाने पर संगमा ने कहा कि उनकी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है, क्योंकि इसमें छठी अनुसूची के क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप मेघालय के अधिकांश क्षेत्रों को छूट मिल गई है। बांग्लादेश के साथ 400 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करने वाले मेघालय में सीएए को लेकर विरोध के स्वर मुखर हुए हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रमुख संगमा ने बताया कि जब सीएए का पहला मसौदा सामने आया था, तब किसी भी राज्य के लिए छूट का कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने चिंता जताई, उसके बाद हम गृहमंत्री से मिले, अन्य नेताओं से भी मिले, फिर पूरे मसौदे पर दोबारा विचार किया गया तथा वैसा प्रावधान किया गया है जिसमें मेघालय और छठी अनुसूची और आईएलपी वाले अन्य क्षेत्रों को छूट दी गई।’’ संगमा ने कहा, ‘‘शिलांग में कुछ वर्ग मीटर क्षेत्र को छोड़कर मेघालय के हर क्षेत्र में.... एक छोटा सा क्षेत्र, जिसे हम यूरोपीय वार्ड कहते हैं, एकमात्र क्षेत्र है जो गैर-अधिसूचित क्षेत्र है। राज्य का अधिकांश भाग अधिसूचित क्षेत्र है। इन क्षेत्रों के लिए छूट दी गई है तो हमें कोई चिंता की आवश्यकता नहीं है। इसलिए हमारी चिंताओं का समाधान कर दिया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने अभी भारत सरकार से अनुरोध किया है कि क्या हम अब भी आईएलपी का इस्तेमाल कर सकते हैं... क्योंकि अन्य राज्यों में जो कुछ भी घटित होता है, उसका प्रभाव यहां भी पड़ सकता है, हमने इसके लिए अनुरोध किया है। हमें खुशी है कि भारत सरकार ने मेघालय को छूट दे दी है।’’ उन्होंने राज्य में आईएलपी का विस्तार करने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव का भी उल्लेख किया। मेघालय विधानसभा ने दिसंबर 2019 में राज्य में आईएलपी व्यवस्था लागू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। आईएलपी एक विशेष परमिट है, जिसकी आवश्यकता भारत के अन्य क्षेत्रों के लोगों को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर राज्यों में प्रवेश करने के लिए होती है। संसद द्वारा दिसंबर 2019 में पारित सीएए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आने वाले हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों को यहां की राष्ट्रीयता प्रदान करता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने संबंधी नियमावली जारी कर दी जाएगी। अधिनियम के प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे।

मिजोरम

मिजोरम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को जन्मदिन की बधाई दी और उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को जन्मदिन की शुभकामनाएं। मैं कामना करता हूं कि लोगों की सेवा करने के लिए ईश्वर आपको लंबा व स्वस्थ जीवन दें।’’ जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता लालदुहोमा बृहस्पतिवार को 75 वर्ष के हो गए। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे लालदुहोमा ने पिछले साल आठ दिसंबर को मिजोरम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जेडपीएम ने राज्य विधानसभा चुनाव में 40 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में एक दुष्कर्म पीड़ित ने प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि बयान दर्ज करने के दौरान न्यायिक अधिकारी ने उसका यौन शोषण किया। महिला के पति ने इससे पहले धलाई जिले के कमालपुर में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पास शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद तीन सदस्यीय समिति ने मामले की जांच शुरू की है। उच्च न्यायालय के महापंजीयक विश्वजीत पांडे द्वारा सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि आरोप के मद्देनजर, आरोपी मजिस्ट्रेट को अगरतला उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है और आगे के पद स्थापन के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा में रखा गया है। इसमें कहा गया है कि उप संभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट मधुमिता विश्वास को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। धलाई के पुलिस अधीक्षक अविनाश राय ने मंगलवार को कहा, ''हमें सोमवार रात कमालपुर पुलिस थाने में एक मजिस्ट्रेट के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत मिली है। हालांकि, अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। चूंकि मामला संवेदनशील है इसलिए पुलिस ने कानूनी कार्रवाई करने के लिए इसे उच्च न्यायालय में भेज दिया है।’’ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेजी गई पहले की शिकायत के आधार पर अमबासा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश, गौतम सरकार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पास पिछली शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 16 फरवरी को अपने कक्ष में महिला का बयान दर्ज कराने के दौरान आरोपी मजिस्ट्रेट ने उनके साथ छेड़छाड़ की।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने राज्य सरकार द्वारा संचालित एमबीबी विश्वविद्यालय में इमारत के निर्माण के लिए 20 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को धन्यवाद दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-ऊषा) के तहत एमबीबी विश्वविद्यालय सहित देश के 78 विश्वविद्यालयों को अनुदान की मंजूरी प्रदान की है। साहा ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, 'केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पीएम-ऊषा योजना के तहत एमबीबी विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 20 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी प्रदान की है। इस अनुदान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मेरा हार्दिक धन्यवाद।' एमबीबी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2016-17 से पढ़ाई शुरू हुई थी और यह विश्वविद्यालय पांच स्नातकोत्तर और दो एकीकृत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करता है।

नगालैंड

नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष शेरिंगेन लोंगकुमेर ने राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सात विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका खारिज कर दी है। राकांपा के शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट के राष्ट्रीय महासचिव हेमंत तकले ने 30 अगस्त, 2023 को सात विधायकों- पिक्टो शोहे, पी लॉन्गोन, नामरी नचांग, वाई म्होनबेमो हम्त्सो, एस तोइहो येप्थो, वाई मनखाओ कोन्याक और ए पोंगशी फोम, के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। राकांपा के सात विधायकों ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को अपना समर्थन पत्र दिया था। विधानसभाध्यक्ष को 30 अगस्त को अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा की ओर से एक पत्र भी मिला था। इस पत्र में चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 पर विवाद के बारे में भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने तक नगालैंड में राकांपा के सात विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका पर कोई निर्णय नहीं लेने का अनुरोध किया गया था।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने केंद्र सरकार प्रायोजित योजना बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) जारी रखने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सरहाना की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से 2025-26 तक 4,100 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ एफएमपीएबी को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। खांडू ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'मैं केंद्र प्रायोजित योजना बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) को 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 4,100 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ जारी रखने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करता हूं।' बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) के तहत, बाढ़ नियंत्रण और भूमि कटाव को रोकने आदि से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों को सहायता प्रदान की जाएगी।

इसके अलावा, पर्वतारोहण को बढ़ावा देने वाले एक संस्थान और एक निराश्रित आश्रय गृह अरुणाचल प्रदेश के उन कई संगठनों में शामिल हैं, जिन्हें बुधवार को राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजभवन में आयोजित एक समारोह में इस पर्वतीय राज्य के दुर्गम इलाकों में ड्रोन के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को भी सम्मानित किया गया। ओजू वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष रतन अन्या को भी अपने संगठन के माध्यम से राज्य में अनाथों और निराश्रितों के लिए उनकी परोपकारी सेवाओं के लिए पुरस्कार मिला। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के टी परनायक ने व्यक्तियों, संगठनों और सरकारी विभागों को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए राज्य पुरस्कार और मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पेमा खांडू, विधानसभा अध्यक्ष पी. दोरजी सोना और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। अरुणाचल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एआरएसआरएलएम), राम कृष्ण मिशन, दीपक नबाम लिविंग होम, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (एनआईएमएएस) और विवेकानंद केंद्र विद्यालय अरुणाचल प्रदेश ट्रस्ट ऐसे संगठन हैं जिन्हें राज्य स्वर्ण पदक मिला। एनआईएमएएस ने अपने निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल का एक प्रयास, हर शिखर तिरंगा" अभियान शुरू किया है, जिसमें संस्थान की एक टीम भारत के सभी 28 राज्यों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ती है और प्रत्येक शिखर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराती है। सीमा मामलों के सचिव राजीव ताकुक, नयी दिल्ली में अरुणाचल भवन के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस के सिंह और ओजू वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष रतन अन्या भी स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में शामिल हैं। लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए मुख्यमंत्री पुरस्कार में, पुरस्कार विजेताओं में ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए ग्रामीण विकास विभाग, बहुउद्देशीय जल संरक्षण परियोजना के लिए जल संसाधन विभाग और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए लोअर दिबांग घाटी जिला उपायुक्त कार्यालय शामिल हैं। वर्ष 2023 के लिए राज्य रजत पदक पुरस्कार विजेताओं में एक महिला संगठन सहित कम से कम 18 शामिल हैं। राज्यपाल ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि पुरस्कार विजेताओं के कार्यों से उनके साथियों और राज्य के अन्य नागरिकों को प्रेरणा मिलेगी।

इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के क्रियान्वयन से पूर्वोत्तर क्षेत्र में भरपूर लाभ मिल रहा है। अरुणाचल प्रदेश राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य का दौरा कर रहे धनखड़ ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विविधता के बिना भारत की समग्र संस्कृति अधूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अरुणाचल प्रदेश के लोगों को उनके राज्य दिवस पर शुभकामनाएं दीं। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस पर, वहां के निवासियों को मेरी शुभकामनाएं। अरुणाचल प्रदेश ने देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया हैं। अरूणाचल प्रदेश की जीवंत जनजातीय परंपराएं, जैव विविधता तथा संस्कृति बहुत प्रशंसनीय है। अरुणाचल प्रदेश आगामी वर्षों में समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर रहे।' शाह ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस पर राज्य के लोगों को बधाई दी और कामना की कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में राज्य विकास की नई ऊंचाई को छुएगा। शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश के भाइयों और बहनों को राज्य के स्थापना दिवस की बधाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सर्वसमावेशी विकास की नीति ने प्राकृतिक सुंदरता और जीवंत सांस्कृतिक विविधता से समृद्ध राज्य की आर्थिक क्षमता को नया आयाम देने में बहुत योगदान दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कामना करता हूं कि आने वाले समय में अरुणाचल प्रदेश के लोग पेमा खांडू के नेतृत्व में विकास की नई ऊंचाई को छुए।’’ अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में आज ही के दिन राज्य का दर्जा दिया गया था। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के क्रियान्वयन से पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और संपर्क का अभूतपूर्व विकास हुआ है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘एक्ट ईस्ट नीति को लागू करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण क्षेत्र में समृद्ध लाभ पहुंचा रहा है।" उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2047 तक विकसित भारत के हमारे दृष्टिकोण में पूर्वोत्तर को एक सक्रिय भागीदार बनाने के लिए इस क्षेत्र तक पहुंचने को लेकर केंद्र के सफल प्रयासों, नीतियों और पहल की सराहना करता हूं।" क्षेत्र के आठ राज्यों को 'अष्ट लक्ष्मी' (धन की देवी के आठ रूप) बताते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कामना की कि पूर्वोत्तर हमेशा उगते सूरज की तरह चमकता रहे और देश को शांति और प्रगति के पथ पर ले जाए। अरुणाचल प्रदेश को भारत में 'उगते सूरज की भूमि' के रूप में जाना जाता है क्योंकि राज्य के पूर्वी हिस्से में स्थित एक गांव में देश के किसी भी अन्य स्थान से पहले सूर्योदय होता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर को शांति का लाभ मिल रहा है, एक दृढ़ सरकार सभी हितधारकों के बीच सद्भाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक माहौल शांतिपूर्ण और स्थिर है, विकास संबंधी नीतियां उम्मीद के मुताबिक हैं। उन्होंने कहा कि यह इस क्षेत्र के भविष्य और लोगों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने कहा, "पिछले 10 वर्षों में, हमने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शानदार तालमेल देखा है, जिससे बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। इस क्षेत्र की आकांक्षाएं अब फलीभूत हो रही हैं।" हाल ही में राष्ट्रीय एकता यात्रा के दौरान अरुणाचल प्रदेश की मेनचुका घाटी से युवा छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली स्थित धनखड़ के आधिकारिक आवास आया था। धनखड़ ने उनके दौरे को याद करते हुए कहा कि युवा लड़के और लड़कियों ने अपनी प्रतिभा और सच्चाई का प्रदर्शन करके गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि केंद्र की नयी राष्ट्रीय ड्रोन नीति से अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों को जोड़ा जा सकता है और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले सात वर्षों में, अरुणाचल प्रदेश में सड़क की लंबाई में 64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और लगभग 20,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है।

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