राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लागू करने का खाका नहीं: मनीष सिसोदिया
राष्ट्रीय शिक्षा नीति व्यावसायिक शिक्षा की बात करती है, लेकिन मौजूदा समय में 80 प्रतिशत युवाओं के पास जो डिग्री है उन्हें रोजगार योग्य नहीं माना जाता। इसपर हमें ध्यान देने की जरूरत है। अगर 20 साल की शिक्षा पूरी करने के बाद भी हमारे विद्यार्थी रोजगार योग्य नहीं हैं तो गलती कहां है?
नयी दिल्ली। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में इसे लागू करने का खाका नहीं है और बेहतर योजना की जरूरत है ताकि यह केवल अद्भुत विचार बनकर नहीं रह जाए। दिल्ली सरकार में शिक्षा विभाग का भी प्रभार देख रहे सिसोदिया ने टिप्पणी उच्च शिक्षा के बदलाव में एनईपी की भूमिका पर आयोजित ‘राज्यपालों’ के सम्मेलन में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके लागू करने की कार्ययोजना की कमी है। इस नीति को लागू करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनानी चाहिए ताकि यह केवल अद्भुत विचार बनकर नहीं रह जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विचारों तक सीमित करने की जगह अमल में लाना जरूरी है।’’
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सिसोदिया ने कहा, ‘‘इस नीति में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात गई है। यही बात 1968 की नीति में भी कही गई थी, लेकिन कभी लागू नहीं किया गया। इसलिए कानून बनना चाहिए ताकि आने वाली सरकार इसके लिए बाध्य हो और प्रभावी तरीके से इसे लागू करने के लिए जरूरी संसाधन की गारंटी हो।’’ गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को जुलाई महीने में मंजूरी दी थी और यह 34 साल पहले यानी 1986 में बनी शिक्षा नीति का स्थान लेगी। इसका लक्ष्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए स्कूली और उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार का रास्ता साफ करना है।
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सिसोदिया ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति व्यावसायिक शिक्षा की बात करती है, लेकिन मौजूदा समय में 80 प्रतिशत युवाओं के पास जो डिग्री है उन्हें रोजगार योग्य नहीं माना जाता। इसपर हमें ध्यान देने की जरूरत है। अगर 20 साल की शिक्षा पूरी करने के बाद भी हमारे विद्यार्थी रोजगार योग्य नहीं हैं तो गलती कहां है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उचित नहीं है कि व्यावसायिक शिक्षा की डिग्री को अन्य विषय में स्नातक की डिग्री से अलग देखा जाए।
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