नीतीश ने PM मोदी के सामने उठाया कोटा में फंसे छात्रों का मुद्दा, कहा- देश में हो एक नीति
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क । Apr 27 2020 6:26PM
कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नीतीश ने कहा कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं।
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे छात्र-छात्राओं का मामला उठाते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरुप हमलोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं, इसलिये जबतक दिशानिर्देशों में अनुकूल बदलाव नहीं होता फंसे छात्रों को वापस लाना संभव नहीं है। कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नीतीश ने कहा कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी ‘सेंट्रल डिजास्टर एक्ट’ के अनुसार अंतरराज्यीय आवागमन पर प्रतिबंध है, जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा तब तक किसी को भी वापस बुलाना नियम संगत नहीं है, केन्द्र सरकार इसके लिये आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे। उन्होंने कहा कि कोटा ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी बिहार के विद्यार्थी पढ़ते हैं।
नीतीश ने कहा मेरा विनम्र निवेदन है कि जो भी लोग बाहर से भेजे जा रहे हैं उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करवा ली जाय। उन्होंने कहा कि बिहार में 14 अप्रैल के पहले राज्य में कोरोना संक्रमण के 66 पॉजिटिव मामले थे और आज तक 290 मामले हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कोरोना संक्रमित 56 मरीज स्वस्थ्य होकर घर भी लौट चुके हैं। राज्य के 22 जिलों के 48 प्रखंडों में कोरोना से संक्रमित मामले सामने आए हैं। नीतीश ने कहा कि राज्य में कोरोना की जांच के लिए 6 लैब काम कर रही हैं, जिससे जांच में तेजी आयी है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए हमलोगों ने पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान की तर्ज पर घर-घर जाकर जांच करा रहे हैं। अब तक 75 लाख परिवारों के 4 करोड़ से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं उन्होंने फोन के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग, स्थानिक आयुक्त के कार्यालय, बिहार भवन नई दिल्ली और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी समस्याएं बतायीं। अब तक ऐसे एक लाख से अधिक फोन एवं संदेश आ चुके हैं। ऐसे लोगों से फीडबैक लेकर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए काम किए जा रहे हैं।Large no.of students from Bihar study in Kota. We're following lockdown as per guidelines of centre. It's not possible to bring back anyone until some amendments are made in guidelines. Central govt should issue required guidelines: Bihar CMO on CM's video-conferencing with PM pic.twitter.com/mp2KMSvy2i
— ANI (@ANI) April 27, 2020
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हमलोगों ने राज्य के बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरुरतमंद व्यक्तियों के लिए सहायता राशि के रूप में मुख्यमंत्री विशेष सहायता अंतर्गत 1,000 रुपये देने का निर्णय किया था। इस संबंध में अब तक 25 लाख आवदेन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में 1000 रुपए की राशि अंतरित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन कब तक जारी रहना है यह निर्णय केंद्र सरकार को करना है। इस मामले में विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। केंद्र सरकार का लॉकडाउन के संबंध में जो भी फैसला होगा हम उसका अनुपालन करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बाहर से कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं जिनमें कई संक्रमित पाए गए हैं और उनके माध्यम से अन्य लोग भी सक्रंमित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन के अनुरुप कुछ आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए अनुमति दी गई है, उसके मुताबिक राज्य में कुछ कार्य शुरु किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य किए जा रहे हैं। मनरेगा के माध्यम से भी कार्य कराए जा रहे हैं। जल संसाधन विभाग के माध्यम से बाढ़ निरोधक कार्य कराए जा रहे हैं। मजदूर वर्ग के लोगों एवं जरुरतमंदों के जीविकोपार्जन के लिए जो जरूरी आर्थिक गतिविधियां हैं उसे संचालित कराया जा रहा है।डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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