कोरोना संकट से निपटने में जुटे नीतीश कुमार तो विपक्ष को जवाब दे रहे सुशील मोदी
वर्तमान में देखे तो बिहार में कोरोना के लगभग के साढे 450 मामले सामने हैं जिनमें से दो संक्रमित लोगों की मौत हो गई है। बिहार में कोरोनावायरस मरीजों के स्वास्थ्य होने की तादाद भी अच्छी खासी है लेकिन फिर भी बिहार चर्चा का विषय बना हुआ है।
पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है। महामारी से बचने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन है। लॉक डाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ शैक्षणिक गतिविधियां भी पूरी तरीके से ठप है। हालांकि अब धीरे-धीरे इन्हें शुरू करने की योजनाएं बनाई जा रही है। देश कोरोना महामारी से निपटने के लिए पूरी तरीके से तैयार है। केंद्र की सरकार के साथ-साथ प्रदेश की भी सरकारें अलग-अलग तरह से इस महामारी से निपट रही हैं। केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन राज्य की सरकारें करवा रही हैं। राज्य की सरकारें केंद्र की ही दिशा निर्देश पर आगे की योजनाएं बना रही हैं। अगर बात बिहार की करें तो वहां भी लॉक डाउन लागू है।
वर्तमान में देखे तो बिहार में कोरोना के लगभग के साढे 450 मामले सामने हैं जिनमें से दो संक्रमित लोगों की मौत हो गई है। बिहार में कोरोनावायरस मरीजों के स्वास्थ्य होने की तादाद भी अच्छी खासी है लेकिन फिर भी बिहार चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल यह चर्चा बिहार के उन लोगों की वजह से है जो रोजी-रोटी की तलाश में राज्य से बाहर गए हुए हैं, अब वे राज्य में वापस आना चाहते हैं लेकिन लॉक डाउन और परिवहन व्यवस्था ठप होने के कारण उनकी वापसी फिलहाल मुश्किल नजर आ रही है। इन सबके बावजूद बिहार में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए लगातार रणनीतियां बनाई जा रही हैं। स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट पर बनाए हुए हैं। वह हर रोज अपने सरकारी आवास एक अणे मार्ग पर अधिकारियों के साथ-साथ मंत्रियों के साथ बैठक करते हैं, कोरोनावायरस ने के लिए रणनीति बनाते हैं और उसे कैसे अमल में लाया जाए इस पर भी जोर देते हैं। कोरोना महामारी के शुरुआत से ही नीतीश कुमार यह बैठक लगातार करते हैं जिसमें राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव के अलावा स्वास्थ्य मंत्री और विभिन्न सरकारी अधिकारी मौजूद रहते हैं। नीतीश कुमार स्वयं सभी परिस्थितियों की निगरानी कर रहे हैं और उनके लिए दिशा-निर्देश भी बना रहे हैं जिस पर अधिकारी अमल कर रहे हैं।पटना शहर एवं आस-पास के नगरीय क्षेत्रों में जलजमाव से बचाव हेतु किए जा रहे कार्यों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मैंने समीक्षा बैठक की।https://t.co/veXiB5v9yv pic.twitter.com/iRDe91827L
— Nitish Kumar (@NitishKumar) April 29, 2020
#BiharFightsCorona 3rd update of the day.18 more covid-19 +ve cases in bihar taking the total to 450.details are as below.we are ascertaining their infection trail. pic.twitter.com/2W0dljv6lQ
— sanjay kumar (@sanjayjavin) May 1, 2020
शासनकाल में काम के बदले जमीन लिखवाने का आदती राजद नेतृत्व कोरोना काल में जब गरीबों की मदद के लिए कुछ न कर सका, तब इसने पड़ोसी राज्य की जेल या प्रदेश के बाहर किसी अज्ञात स्थान से फैसला किया कि पार्टी के कार्यकर्ता 1 मई को मात्र दो घंटे का सामूहिक उपवास करेंगे। आम लोग रोज ही ..... pic.twitter.com/qjvjjfHNrM
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 29, 2020
आज सिवान जिला के भाजपा जिलाध्यक्ष, मा० विधायक, विधान पार्षद, पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षद एवं सभी मण्डल अध्यक्ष के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। pic.twitter.com/daQkdIkhOm
— Mangal Pandey (@mangalpandeybjp) May 1, 2020
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हालांकि वर्तमान में बिहार सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना अपने प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों को राज्य में वापस नहीं बुलाने को लेकर हो रही है। पहले राज्य सरकार यह कहती रही कि हम बाहर फंसे अपने लोगों को तभी बुला पाने की स्थिति में रहेंगे जब केंद्र इसके लिए कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करें। जब गृह मंत्रालय ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को अपने गृह राज्य में बुलाने के आदेश दे दिए गए तब बिहार सरकार लगातार यह कह रही है कि हम इन लोगों को बुला पाने में सक्षम नहीं है। दरअसल, बिहार सरकार का यह तर्क है कि राज्य के लगभग 25 लाख से ज्यादा लोग बाहर है। ऐसे में इन सभी लोगों को बुला पाना संभव नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार स्पेशल ट्रेनें चलाएं या फिर हमें कुछ सहूलियत प्रदान करें। राज्य सरकार दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी अपील कर रही है कि वे उनकी मदद करें।
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