नीतीश कुमार ने फिर की जाति आधारित जनगणना की मांग, कहा- यह सब के हित में है
केंद्र सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं करने का फैसला किया है। लोकसभा में यह जानकारी दी गयी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से जाति आधारित जनगणना की मांग कर दी है। नीतीश कुमार ने यह मांग ऐसे समय में की है जब केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक नीतीश कुमार ने कहा कि एक बार जाति आधारित जनगणना जरूर होनी चाहिए, ये सबके हित में है। इससे SC/ST के अलावा जो दूसरे गरीब तबके के लोग हैं, उनको भी लाभ मिलेगा। जाति-आधारित जनगणना के बारे में हम पहले ही फरवरी 2020 और 2021 में सदन में अपने विचार रख चुके हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं करने का फैसला किया है। लोकसभा में यह जानकारी दी गयी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार लोकसभा और विधानसभाओं में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय विवरण एकत्रित करने का अनुरोध किया है। भारत सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में फैसला किया है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं होगी।We have already kept our thoughts about caste-based census in the House in Feb 2019 & 2020. Caste-based census must be done at least once. Through it, they can gain benefits from schemes. If we know the exact number, we can work towards their betterment: Nitish Kumar, Bihar CM pic.twitter.com/bR5dpeWS7w
— ANI (@ANI) July 24, 2021
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इस मामले में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "बिहार के दोनों सदनों में BJP जातीय जनगणना का समर्थन करती है लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान कराती है। केंद्र सरकार OBC की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती? BJP को पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है? कुत्ता-बिल्ली,हाथी-घोड़ा,शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है। कौन किस धर्म का है,उस धर्म की संख्या कितनी है इसकी गिनती होती है लेकिन उस धर्म में निहित वंचित,उपेक्षित और पिछड़े समूहों की संख्या गिनने में क्या परेशानी है? उनकी जनगणना के लिए फ़ॉर्म में महज एक कॉलम जोड़ना है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के लिए हमारे दल ने लंबी लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे।यह देश के बहुसंख्यक यानि लगभग 65 फ़ीसदी से अधिक वंचित, उपेक्षित, उपहासित, प्रताड़ित वर्गों के वर्तमान और भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। BJP सरकार पिछड़े वर्गों के हिंदुओं को क्यों नहीं गिनना चाहती? क्या वो हिंदू नहीं है?"
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