कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को

Shahi Eidgah
ANI

ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम 1991 से बाधित नहीं हैं। पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक ढांचे को जो 15 अगस्त 1947 को मौजूद था, उसे परिवर्तित करने से रोकता है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह विवाद मामले की अगली सुनवाई की तिथि 30 सितंबर तय की है। बुधवार को जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई तो अदालत को बताया गया कि वादी (हिंदू पक्ष) की ओर कुछ मुकदमों में संशोधन की अनुमति मांगी गई है।

वहीं कुछ वकीलों ने कहा कि उन्हें इन मामलों की आज सुनवाई होने के संबंध में पूर्व में सूचना नहीं मिल सकी थी। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है।

न्यायमूर्ति ने जैन ने एक अगस्त 2024 को हिंदू पक्ष के मुकदमों को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष के आवेदन खारिज कर दिए थे और कहा था कि हिंदू पक्ष के सभी मुकदमे पोषणीय (सुनवाई योग्य) हैं।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम 1991 से बाधित नहीं हैं। पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक ढांचे को जो 15 अगस्त 1947 को मौजूद था, उसे परिवर्तित करने से रोकता है।

हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं। यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे कथित तौर पर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष (शाही ईदगाह की प्रबंधन समिति और उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) ने इन मुकदमों का विभिन्न आधार पर विरोध किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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