Tirupati Temple Laddus ने कैसे आंध्र से केंद्र की सियासत को किया गर्म, असली लड़ाई घी में शुद्धता की है या बात कुछ और ही है!
क्या वाकई में मिलावट की बात सही है, जांच किससे कराई गई, क्यों कराई गई? इसे लेकर भी सवाल है।
भारत में इन दिनों एक नई तरह की राजनीति चल पड़ी है। प्रसाद पॉलिटिक्स, इसके बारे में आपने भी पढ़ा या सुना जरूर होगा। भारत के सबसे प्रसिद्ध आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर जो भी ये बात सुन रहा है कि तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई जा रही थी। वो इसे सुनकर आक्रोश में है। सबके मन में सवाल यही है कि इतने बड़े मंदिर में ऐसा महापाप कैसे हो सकता है। वो भी उस मंदिर में जो भारत के सबसे प्रसिद्ध और अमीर मंदिरों में से एक है। जहां हर दिन करोड़ो का चढ़ावा आता है और इतने पैसे आते हैं कि बेस्ट से बेस्ट क्वालिटी की चीजों से प्रसाद बनाया जाए। फिर ऐसी खबर आती है। मामला संवेदनशील है इसलिए हमने अपनी तरफ से जितनी भी जानकारियों हो सकती हैं उन्हें शामिल करने की कोशिश की है। आप धीरज के साथ जानिए। क्या वाकई में मिलावट की बात सही है, जांच किससे कराई गई, क्यों कराई गई? इसे लेकर भी सवाल है।
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चंद्रबाबू नायडू के आरोप ने मचाई सनसनी
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर तिरुपति लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि लड्डू घटिया सामग्री से बनाया जाता था। नायडू ने यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल की एक बैठक को संबोधित करते हुए दावा किया, यहां तक कि तिरुमला लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाया गया था। उन्होंने घी की जगह पशु चर्बी का इस्तेमाल किया था। मुख्यमंत्री नायडू ने हालांकि कहा कि अब शुद्ध घी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे गुणवत्ता में सुधार हुआ है। नायडू ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से जुड़ी लैब की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया। टीडीपी ने दावा किया कि लैब रिपोर्ट ने भी इस बात की पुष्टि की है कि लड्डू में मिलावट की गई थी। ये मामला सामने आने के बाद खलबली मच गई।
सबसे धनी मंदिरों में से एक
तिरुमाला मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर है, जिसे विष्णु का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान वेकेंटेश्वर पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्हें पैसे की कमी पड़ गई। इसलिए वो धन के देवता कुबेर के पास गए और उनसे एक करोड़ रुपए और एक करोड़ सोने की गिन्नियां मांगी। मान्यतां है कि भगवान वेंकटेश्वर पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इस कर्जा का ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। ये सबसे धनी मंदिरों में से भी है। मंदिर के पास करीब 8 से 9 हजार किलो सोना है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक मंदिर के 12 हज़ार करोड़ रुपये बैंकों में जमा थे। मंदिर के नाम देश के कई राज्यों में जमीनें, मकान और प्लॉट हैं।
घी पर उठ रहे सवाल
पिछले 50 साल से केएमएफ रियायती दरों पर मंदिर कमेटी को देसी घी सप्लाई करता रहा है।
जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से इनकार कर दिया।
तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 5 फर्म को घी सप्लाई की जिम्मेदारी दे दी।
19 अगस्त को दोबारा केएमएफ को सप्लाई का काम सौंप दिया गया।
केएमएफ , नंदिनी ब्रांड का घी सप्लाई करता है।
अगस्त 2023 में केएमएफ के अध्यक्ष भीमा नाइक ने आरोप लगाया था कि मंदिर ट्रस्ट कम गुणवत्ता वाला घी खरीद रहा है।
ट्रस्ट बोर्ड के तत्कालीन अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने नाइक के आरोपों को खारिज कर दिया था।
300 साल पुराना किचन, बनते हैं रोज साढ़े तीन लाख लड्डू
हल्के पीले भूरे रंग के लड्डू जो छूने या दबाने पर बिखड़ने लगते हैं। आप तिरुपति जाएंगे तो लड्डू काउंटर पर आपको कई ऐसे लोग मिलेंगे जो अपनी जरूरत से ज्यादा लड्डू खरीदते हैं। कुछ लौट करके रिश्तेदारों को प्रसाद देने के लिए और कुछ उन लोगों के लिए जिन्हें लड्डू स्वाद के लिए पसंद है। तिरुपति मंदिर का किचन जिसमें प्रसाद बनता है 300 साल पुराना है। इतने भक्त रोजाना आते हैं कि करीब साढ़े तीन लाख लड्डू रोज इसकी किचन में बनते हैं। कई भक्त ऑनलाइन भी प्रसाद ऑर्डर करते हैं। तिरुमाला ट्रस्ट हर साल प्रसादम से करीब 500 करोड़ रुपए कमाता है। लड्डू के लिए भक्तों में इतनी मारा मारी रहती है कि सितंबर 2024 की शुरुआत में लड्डू पाने के लिए टोकन दिखाने की व्यवस्था की गई। दर्शन करने आने वाले सभी लोगों को एक लड्डू फ्री में दिया जाता है। अगर और लड्डू चाहिए तो 50 रुपए चुकाने होंगे। जिन लोगों ने दर्शन नहीं किए वो आधार कार्ड दिखाकर लड्डू ले सकते हैं। आप समझ सकते हैं कि प्रसाद के लड्डू को लेकर कितनी आस्था है।
क्या आंध्र की पिछली जगन सरकार ने की कोई गड़बड़ी
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इस आरोप के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। चंद्रबाबू नायडू ने किस तरह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और ऐसा करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों की जानी चाहिए। आठ पन्नों के पत्र में जगन ने आरोप लगाया है कि सीएम चंद्रबाबू नायडू ने सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने का कार्य किया है। जगन ने पत्र में आगे लिखा कि अब इस मामले में पूरा देश आपकी ओर देख रहा है। यह बहुत जरूरी है कि झूठ फैलाने के उनके कृत्य के लिए सीएम नायडू को कड़ी फटकार लगाई जाए और सच्चाई को सामने लाया जाए।
रिपोर्ट पर सवाल
1. 17 जुलाई को रिपोर्ट आई थी, लेकिन अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
2. रिपोर्ट के लिए सैंपल किस जगह से लिया गया और कब ?
3. सैंपल उसी घी का था, जिससे लड्डू बने, इसे स्थापित कैसे किया गया? क्या कोई पंचनामा हुआ था? क्या कोई वीडियो साक्ष्य है?
4. रिपोर्ट को लेकर दावा किया जा रहा है कि उसे CALF ने बनाया, लेकिन रिपोर्ट में ये चीज़ लिखी क्यों नहीं है?
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प्रसाद बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का दावा कितना सच?
हम अपनी तरफ से कोई दावा नहीं कर रहे बल्कि मंदिर प्रसाशन ने ऐसा खुद कहा है। तमिलनाडु की डायरी से घी डिलीवर किया गया। उन्होंने 10 कंटेनर तिरुपति में डिलीवर किया। इनमें से चार को मंदिर द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया। इसकी वजह क्वालिटी टेस्ट में फेल होने को बताया गया। जिसके बाद इन टेस्ट में फेल हुए सैंपल को लैब में भेजा गया। वही लैब रिपोर्ट अब वायरल हो रहा है। मतलब, मिलावटी घी का प्रसाद बनाने में इस्तेमाल हुआ ही नहीं है। इसे तो पहले ही रिजेक्ट कर दिया गया था। अब दूसरे सवाल पर आते हैं कि क्या जगन मोहन सरकार की इसमें कोई भूमिका है? एक सुचारू जांच से ही इसका पता लगाया जा सकता है। लेकिन चीजें 2 और 2 चार सरीखी नहीं है। जगन सरकार ने सप्लायर को एक कॉन्ट्रैक्ट दिया था। लेकिन घी शिपेंट इस साल के जुलाई यानी चंद्रबाबू नायडू की सरकार के आने के बाद डिलीवर किए गए।
क्या इसमें कोई राजनीतिक एंगल है?
चंद्रबाबू नायडू ने आस्था के मुद्दे को उठाया है और जगन सरकार को कटघरे में किया है। जगन मोहन रेड्डी एक ईसाई हैं। नायडू उन पर आंध्र प्रदेश के हिंदुओँ को निशाना बनाने को लेकर आरोप लगाते रहे हैं। नायडू ने जबरन धर्मांतरण करवाने का आरोप लगाया था। 2022 में उन्होंने जगन को एक ईसाई सीएम बताया था। क्या ये लड्डू प्रकरण आरोप प्रत्यारोप की राजनीति का विस्तार है? फिलहाल इस मामले में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि, अभी आंध्र प्रदेश या दक्षिण के किसी राज्य में कोई चुनाव नहीं है, लेकिन यह ऐसा मुद्दा है, जिसका असर लंबा होगा। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की पांच करोड़ आबादी में हिंदू 90.89 प्रतिशत हैं। मुस्लिम 7.30 और ईसाई मात्र 1.38 प्रतिशत हैं। डेढ़ प्रतिशत से भी कम आबादी वाले क्रिश्चियन समुदाय से आने वाले जगन मोहन से जुड़े इस विवाद और बहुसंख्यकों की भावना को चोट पहुंचाने के आरोप का असर दूरगामी हो सकता है।
आगे क्या?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति प्रसादम (लड्डू) में मिलावट के आरोपों की जांच के लिए एक स्पेशल टॉस्क फोर्स का गठन करने का ऐलान किया है। नायडू ने कहा कि हम आईजीपी लेवल और उससे ऊपर के अधिकारियों वाली एक एसआईटी बना रहे हैं। एसआईटी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी और हम उस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करेंगे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसके साथ ही 24 सितंबर को सुबह मंदिर का शुद्धिकरण किया गया, ताकि अपवित्रता को दूर किया जा सके. इसके लिए सुबह 6 बजे से ही शांति होमम और वास्तु पूजा की गई।
मोदी सरकार ने भेजा कारण बताओ नोटिस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने घी सप्लाई करने वाली एक कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कंपनी का नाम तो सामने नहीं आया लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उस कंपनी को नोटिस जारी कर दिया गया है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने एक नोटिस में ए आर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड से पूछा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमन, 2011 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उसका केंद्रीय लाइसेंस क्यों न निलंबित कर दिया जाए।
बहरहाल, पूरा मामला विश्वास से जुड़ा है। क्या भक्तगण सरकार पर भरोसा कर सकते हैं कि वह उनकी आस्था को कायम रखेगी। यही भारतीय धर्मनिरपेक्षता का आधार है। हम सरकारों को मंदिरों और चर्च से अलग नहीं कर सकते। सरकार धर्म में एक एक्टिव रोल प्ले करती है और ये सबकुछ विश्वास पर टिका है और इसे बनाए रखना सरकार और राजनेताओं की जिम्मेदारी है।
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