कभी नहीं कहा कि किसानों के साथ वार्ता के दरवाजे बंद हो गए: प्रकाश जावड़ेकर
पिछले शुक्रवार को 11वें दौर की वार्ता के बाद सरकार ने किसानों से कहा कि वे तीन कृषि कानूनों को एक-डेढ वर्ष के लिये स्थगित करने के प्रस्ताव पर फिर से विचार करें लेकिन किसानों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसानों के साथ अब तक की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला है।
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गौरतलत है कि पिछले शुक्रवार को 11वें दौर की वार्ता के बाद सरकार ने किसानों से कहा कि वे तीन कृषि कानूनों को एक-डेढ वर्ष के लिये स्थगित करने के प्रस्ताव पर फिर से विचार करें लेकिन किसानों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसानों के साथ अब तक की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला है। बहरहाल, जावडेकर ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत के संबंध में जो भी निर्णय होगा, हम सही समय पर इसकी जानकारी देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर कोई बदलाव हुए हैं तब भी हमने आपको बताया है और हम आपको आगे भी जानकारी देंगे। ’’
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यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में क्या मंगलवार की हिंसा के बारे में भी चर्चा हुई, उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल, सुरक्षा समिति से अलग होती है। यह पूछे जाने पर कि हिंसा को लेकर वे व्यक्तिगत रूप से क्या महसूस करते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘ व्यक्तिगत तौर पर मेरी वही भावना है जो आपकी है। ’’ वहीं, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के सख्त रूख के लिये विदेशी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि जब आंदोलन की गरिमा समाप्त हो जाए तब कोई समाधान संभव नहीं है।
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