किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच बोले राजनाथ, MSP में आने वाले वर्षो में होती रहेगी वृद्धि
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे हथियार सैनिकों के लिए पवित्र चीज है, उसी तरह किसानों के लिए ट्रैक्टर पूजनीय है उसे जलाकर उन्होंने किसानों का अपमान किया है।
नयी दिल्ली। कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिये हाल में पारित कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठनों द्वारा किये जा रहे निरंतर विरोध प्रदर्शनों के बीच वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को किसानों को आश्वस्त किया कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न केवल बरकरार रहेगा बल्कि इसमें आने वाले वर्षों में वृद्धि भी होती रहेगी। उन्होंने कांग्रेस की युवा शाखा द्वारा प्रदर्शन के दौरान एक ट्रैक्टर को जलाने पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जैसे हथियार सैनिकों के लिए पवित्र चीज है, उसी तरह किसानों के लिए ट्रैक्टर पूजनीय है उसे जलाकर उन्होंने किसानों का अपमान किया है।’’
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कांग्रेस के युवा प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कृषि कानूनों का विरोध करते हुये राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट के पास, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन से कुछ सौ मीटर की दूरी पर एक ट्रैक्टर को आग लगा दी थी। रक्षा मंत्री ने पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए कहा, ‘‘खुद एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोदी सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी जो किसानों के हित में न हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी किसान संगठनों से अपील करता हूं कि अगर उनके मन में कोई आशंका है तो कृपया आयें और हमारे साथ बात करें। मैंने पहले ही किसानों की आशंकाओं और गलतफहमियों को दूर करने के लिए उनसे बात करना शुरू कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एमएसपी बना रहेगा और आने वाले वर्षों में इसे लगातार बढ़ाया जाएगा।’’ संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में तीन प्रमुख कृषि विधेयकों के पारित होने के बाद नए कानून लागू हो गए हैं। सरकार ने इन विधेयकों को किसानों के लिये फायदेमंद बताया है। सरकार का कहना है कि यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य मिले और वे मंडियों के नियमों से बंधे न रहें।
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सरकार ने यह भी कहा है कि किसान अब अपनी उपज किसी को भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे और इससे प्रतिस्पर्धा बढेगी। इससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कृषि बुनियादी ढांचे के विकास में मदद मिलेगी और रोजगार पैदा होगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने विधेयकों को ‘‘किसान विरोधी’’ करार दिया है, उनका दावा है कि इन कानूनों के अमल में आने पर कृषि क्षेत्र कॉर्पोरेट के हाथों मजबूर हो जाएगा।
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