गाजीपुर बॉर्डर पर जुटे और अधिक किसान, बोले- हर हाल में जारी रहेगी लड़ाई
26 जनवरी को हुईं हिंसक झड़पों के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या कम होती दिखाई दे रही थी तब टिकैत ने शनिवार को विशाल समूह को संबोधित करते हुए भावुक अपील की। इस दौरान उनके आंसू छलक आए।
अमृतसर के एक व्यक्ति ने मंच पर टिकैत को पानी पेश किया और कहा, टिकैत जी की आंखों से गिरे आंसू केवल उनके आंसू नहीं है बल्कि ये एक किसान के आंसू है, जिनकी वजह से एकजुटता बढ़ी है। गाजीपुर बॉर्डर पर विभिन्न शिविरों में पीटीआई- से बात करने वाले किसान ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहराए जाने और उसके बाद हुई हिंसक झड़पों का जिक्र आते ही सहम उठते हैं। ऑल इंडिया किसान सभा की केन्द्रीय किसान समिति के सदस्य डीपी सिंह (75) कहते हैं, जिन लोगों ने ये किया, वे हमारे लोग नहीं हैं। उस समूह के मंसूबे ठीक नहीं थे और 26 जनवरी को जो कुछ हुआ वह हमें बदनाम करने और आंदोलन को कमजोर करने की हमारे विरोधियों की साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। हमारा आंदोलन मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा, हां, हम उस घटना और उसके बाद हम पर लगाए गए कलंक से भावनात्मक रूप से आहत हुए हैं लेकिन उससे हमारे आंदोलन पर फर्क नहीं पड़ा है। बल्कि यह और मजबूत हुआ है तथा लोगों से और अधिक सहानुभूति मिल रही है।People continue to remain at Ghazipur border, as farmers' agitation against the three #FarmLaws of the Central Government goes on. pic.twitter.com/9bNLKKibuP
— ANI UP (@ANINewsUP) January 30, 2021
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टिकैत की भावुक अपील से लोग एक बार फिर एकजुट हो रहे हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों से लोगों को आना शनिवार को भी जारी रहा। बुलंदशहर के चौरौरा गांव के प्रधान पंकज प्रधान (52) सात अन्य लोगों के साथ शनिवार दोपहर गाजीपुर बॉर्डर प्रदर्शन स्थल आए हैं। उन्होंने भावुक होते हुए 28 जनवरी की रात को याद किया। उन्होंने कहा, हम सभी जागे हुए थे। टिकैट जी को रोते हुए देख रहे थे। कुछ लोग टीवी से चिपके हुए थे जबकि अन्य लोग मोबाइल में लगे हुए थे। सभी बेचैन थे। मेरे जज्बात भी उभर आए। महिलाएं भी भावुक हो गईं। उनके आंसू हर किसी के दिल को छू गए और उन्हें आंदोलन से और मजबूती से जोड़ दिया। राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी किसान आए हैं। उनमें से कई ने प्रदर्शन स्थल पर किसानों को संबोधित किया। सभी ने आरोप लगाया कि इस आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन आंदोलन और मजबूत हुआ है।
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