अबकी बार भ्रष्टाचार-कदाचार पर वार, 12 आयकर अधिकारी जबरन रिटायर
केंद्रीय लोक सेवा (सेवानिवृत्ति) नियमावली, 1972 के मौलिक नियम 56 के तहत इन अफसरों को सेवानिवृत्त किया गया है। सभी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप है और आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक की संपत्ति पाई गई है।
नई दिल्ली। क्या करप्शन खत्म नहीं हो सकता। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं, हो सकता है। बस थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। अपने पहले कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार को लेकर अपने रुख को कुछ इस तरह जाहिर कर संकेत दे दिया था कि केंद्र में काबिज मोदी सरकार इसे लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर हैं। दूसरे कार्यकाल के शुरूआती दौर में ही इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों की छुट्टी कर दी है। खबरों के अनुसार जिन अधिकारियों पर कार्यवाई हुई है इनमें से कुछ अफसरों पर रिश्वत, जबरन वसूली तो एक पर महिला अफसरों का यौन शोषण करने के गंभीर आरोप लगे थे।
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अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आईआरएस अशोक अग्रवाल पर एक बिजनेस मैन से धनउगाही करने के आरोप लगने के बाद भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें 1999 से 2014 के बीच निलंबित कर दिया था। इसके अलावा 12 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में भी सीबीआई ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके अलावा एसके श्रीवास्तव पर दो महिला आईआरएस अफसरों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वहीं, होमी राजवंश पर गलत तरीके से चल और अचल संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे थे। अजॉय कुमार सिंह के खिलाफ भी सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो ने केस दर्ज किया था। वह अक्टूबर, 2009 में सस्पेंड भी हुए थे। इसी तरह भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति और धनउगाही के आरोप में आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती भी आए। भारती पर आरोप रहा कि उन्होंने ज्ञात साधनों से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की। उन पर हवाला से भी पैसे ट्रांसफर करने के आरोप रहे। सूत्रों के मुताबिक, कमिश्नर रैंक के एक अन्य अफसर रविंदर को सीबीआई ने 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था।
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इन अफसरों को कराया गया जबरन रिटायर
अशोक अग्रवाल - ज्वाइंट कमिश्नर
आलोक कुमार मित्रा - कमिश्नर
अरुलप्पा बी - कमिश्नर
बीवी राजेंद्र - कमिश्नर
अजय कुमार सिंह - कमिश्नर
एसके श्रीवास्तव - कमिश्नर
होमी राजवंश - कमिश्नर
श्वेताभ सुमन - कमिश्नर
राजकुमार भार्गव - असिस्टेंट कमिश्नर
चंद्रसेन भारती - एडिशनल कमिश्नर
विवेक बत्रा - एडिशनल कमिश्नर
ए रविंदर - एडिशनल कमिश्नर
केंद्रीय लोक सेवा (सेवानिवृत्ति) नियमावली, 1972 के मौलिक नियम 56 के तहत इन अफसरों को सेवानिवृत्त किया गया है। सभी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप है और आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक की संपत्ति पाई गई है।
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क्या है रूल 56
वित्त मंत्रालय रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है, जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है।
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जिस देश में भष्ट्राचार जैसी खबरों से अखबार अटे-पड़े रहते थे। अफसरों द्वारा घूस लेने की तस्वीरें वायरल होकर खबरों का रुप ले लेती थी। वहां मोदी सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार पर एक तरह का सर्जिकल स्ट्राइक माना जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। न खाऊंगा न खाने दूंगा जैसे बोले से शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार के प्रति अपने कड़े तेवर दिखाने वाले पीएम मोदी ने इस कदम से भ्रष्टाचार करने वालों पर प्रहार किया वहीं सरकार के इस कदम से एक बात और स्पष्ट हो गई कि काम करना जरूरी है अगर पद पर बने रहना है तब तो और भी जरूरी है।
Finance Ministry Sources: 12 senior officers of ranks of Chief Commissioner, Principal Commissioners & Commissioner of Income Tax Department compulsorily retired under Rule 56 by the Finance Ministry. pic.twitter.com/rTXNIBgoUc
— ANI (@ANI) June 10, 2019
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