Bramhapuri विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर, VBA और BSP की भूमिका होगी निर्णायक
विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, प्रचार अभियान भी उतनी जोर पकड़ रहा है। सिंदेवाही तहसील में वडेट्टीवार समर्थक और कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। जगह-जगह होर्डिंग्स, झंडे लगा दिए गए हैं, इसलिए शहर कांग्रेसमय जैसा माहौल बन गया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, प्रचार अभियान भी उतनी जोर पकड़ रहा है। सिंदेवाही तहसील में वडेट्टीवार समर्थक और कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। जगह-जगह होर्डिंग्स, झंडे लगा दिए गए हैं, इसलिए शहर कांग्रेसमय जैसा माहौल बन गया है। ब्रम्हपुरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 13 उम्मीदवार विधानसभा चुनाव मैदान में खड़े हैं। फिलहाल ब्रम्हपुरी विधानसभा क्षेत्र में दो मुख्य पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के बीच दोहरा मुकाबला होता दिखाई दे रहा है। साफ है कि महायुति और महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों के बीच टक्कर होगी।
मतदाताओं का रुख
इस बार के चुनाव में यह तय नहीं है कि खोरिपा, वंचित, बसपा उम्मीदवारों पर इसका असर किस पर पड़ेगा। विपक्षी दल के नेता विजय वडेट्टीवार के लिए यह चुनाव काफी प्रतिष्ठापूर्ण हो गया है और यह चुनाव महागठबंधन के लिए अस्तित्व बचाने का चुनाव होने जा रहा है। क्षेत्र से दो बार विधायक रहे वडेट्टीवार कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और विपक्ष के नेता हैं। इलाके पर उनकी अच्छी पकड़ है और वे सभी के परिचय में हैं, इसलिए सिंदेवाही तहसील में भाजपा के सहारे नए हैं। पिछले बीस सालों से ओबीसी समुदाय को नेतृत्व नहीं मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं ने बीजेपी वरिष्ठ को बताने पर आखिरकार बीजेपी ने जाति संतुलन बनाकर ओबीसी चेहरा दे दिया।
महायुति उम्मीदवार कृष्णा सहारे को महाविकास आघाड़ी के विजय वडेट्टीवार का तगड़ा सामना करना होगा। लेकिन 20 साल बाद ओबीसी का प्रतिनिधित्व बीजेपी ने किया है और इस लड़ाई को ओबीसी के लिए अस्तित्व की लड़ाई माना जा रहा है। तो विधायक विजय वडेट्टीवार ने लगातार दो बार ब्रम्हपुरी निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व किया है, उन्होंने इस बीच बहुत सारे विकास कार्य किए हैं, इसलिए उनके पास हैट्रिक हासिल करके पार्टी को और अधिक मजबूती देने का अवसर है।
वडेट्टीवार के लिए मुश्किल होगा चुनाव
बड़ी संख्या में मतदाताओं के साथ ओबीसी चेहरे की चुनौती सामने होने के कारण वडेट्टीवार के लिए यह चुनाव काफी प्रतिष्ठापूर्ण हो गया है। अगर वडेट्टीवार लगातार जीत की हैट्रिक पूरी कर लेते हैं तो उनके पास राज्य का नेतृत्व करने का मौका होगा। राज्य की विपक्षी पार्टी का नेता होने के नाते उनकी ओर पूरे राज्य का ध्यान लगा हुआ है। महागठबंधन में यह सीट बीजेपी के खाते में आई है और बीजेपी ने ब्रम्हपुरी सीट पर ओबीसी से कुनबी उम्मीदवार दिया है।
कृष्णा सहारे एक सामान्य किसान परिवार से हैं, इसलिए उन्हें इस बात से सहानुभूति हो सकती है कि क्षेत्र में नामचीन और सहायता के लिए दौड़नेवाले विजय वडेट्टीवार विजयी होंगे इसकी उत्सुकता लोगों को लगी है। दूसरी तरफ बीजेपी ने एक सामान्य परिवार के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर ओबीसी घटक के साथ न्याय करने की कोशिश की है, इसलिए इस चुनाव का राजनीतिक महत्व बढ़ गया है। इसका लाभ महायुति के उम्मीदवार को होगा क्या? यह चुनाव नतीजों के बाद ही साफ होगा।
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