मौलाना मदनी बोले- ज्ञानवापी मुद्दे को बातचीत या कोर्ट के जरिए सुलझाया जा सकता है
मुसलमानों की संपत्तियों पर बुल्डोजर चलाए जाने के मुद्दे पर मदनी ने कहा कि हम कोर्ट में इस मामले को लड़ेंगे। खरगोन के साथ-साथ तमाम बाकी जगहों पर सरकार ने निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया। यह सरासर अन्याय है और हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इस तरह की तोड़फोड़ नहीं होगी।
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने आज कहा कि काशी ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे को या तो बातचीत से सुलझाया जा सकता है या अदालत को इस पर अपना फैसला देना चाहिए। दिन भर चलने वाले इंडिया टीवी संवाद कॉन्क्लेव में सवालों के जवाब देते हुए मौलाना मदनी ने कहा, ‘हमारे संगठन (जमियत) ने इस मुद्दे पर किसी भी सार्वजनिक मंच पर नहीं बोलने का फैसला किया है, लेकिन चूंकि आप पूछ रहे हैं तो मैं आपको इतना बता देंता हूं कि इस मुद्दे को या तो बातचीत या फिर अदालत के जरिए सुलझाया जा सकता है। ज्ञानवापी को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करके लोगों को आपस में न बांटें। हमारे संगठन ने इस मुद्दे पर किसी भी टीवी डिबेट में हिस्सा न लेने का फैसला किया है क्योंकि मामला विचाराधीन है, और डिबेट से कोई हल निकलने वाला नहीं है।’
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मुसलमानों की संपत्तियों पर बुल्डोजर चलाए जाने के मुद्दे पर मदनी ने कहा, ‘हम कोर्ट में इस मामले को लड़ेंगे। खरगोन के साथ-साथ तमाम बाकी जगहों पर सरकार ने निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया। यह सरासर अन्याय है और हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इस तरह की तोड़फोड़ नहीं होगी।’ मौलाना मदनी ने कहा, 'मुझमें और AIMIM असदुद्दीन ओवैसी में थोड़ा अंतर है। वह मुसलमानों को एकजुट करने की बात करते हैं, लेकिन मैं सभी भारतीयों को एकजुट करने की बात करता हूं। हमें सभी भारतीयों के समर्थन की जरूरत है। हम अगले एक साल में 1,000 ‘सद्भावना संसद’ आयोजित करेंगे, जबकि बाकी लोग नफरत फैलाने के लिए 'धर्म संसद' आयोजित कर रहे हैं।’
मौलाना मदनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आज़ाद' विदेश नीति की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'हाल के महीनों में उनकी विदेश नीति तारीफ के काबिल है। लंबे समय के बाद, हम विदेश नीति में भारत की स्वतंत्र भूमिका को देख रहे हैं।' यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी का हर मुस्लिम युवा के 'एक हाथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप' की सोच जमीन पर उतरती दिखाई दी है, मौलाना मदनी ने कहा: 'नहीं। अभी तो आम मुस्लिम नौजवान अपनी इज्जत बचाने के लाले पड़े हुए हैं। अभी बेचारे कॉर्नर्ड हैं। उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। जिन लोगों पर इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वे अपना काम नहीं कर रहे हैं। देश में कानून का शासन होना चाहिए और जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, और निर्दोष की निष्पक्ष तरीके से रक्षा की जानी चाहिए।’
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तीन तलाक़ को खत्म करने के मुद्दे पर मदनी ने कहा, 'हम कहते हैं कि तलाक़ ही नहीं होना चाहिए। हम तो चाहते हैं कि 'निकाह' से पहले सभी जोड़ों को तीन दिन की ट्रेनिंग दी जाए। सर्टिफिकेट नहीं देने वालों की शादी नहीं होनी चाहिए।’ लाउडस्पीकरों से 'अज़ान' के मुद्दे पर मदनी ने माना कि ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाउडस्पीकरों से 'अजान' का वॉल्यूम तय सीमा के भीतर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि यूपी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के उन सभी धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई की, जो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक खास 'अज़ान' को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं। यह भारत की आत्मा के खिलाफ है।'
यूपी सरकार द्वारा किसी भी नए मदरसे को अनुदान न देने के फैसले पर मौलाना मदनी ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि सरकार सभी मौजूदा मदरसों को भी अनुदान रोक दे। मैनेजमेंट को खुद फंड की व्यवस्था करके मदरसे चलाने चाहिए। सरकार को मुस्लिम बहुल इलाकों में स्कूल बनाना चाहिए। मुस्लिम समुदाय को सभी लड़कों और लड़कियों को अनिवार्य रूप से स्कूल भेजना चाहिए।’
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