कुल्लू की वादियों में आने वाले कई विदेशी अब तक वापस अपने वतन नहीं लौट पाए
पुलिस और प्रशासन सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर विदेशी सैलानी कुल्लू सस्ते और हाई क्वालिटी चरस की खोज में आते हैं, जोकि आम तौर पर यहां आसानी से मिल जाता है। विदेशी पर्यटक गांवों में महीनों गुजारते हैं और शायद भी ट्रेकिंग या साइटसीइंग के लिए जाते हैं। वे एक गांव से दूसरे गांव में ही जाते रहते हैं।
शिमला। दुनिया में बेहतरीन किस्म की भांग उगाने के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की वादियों में आने वाले कई विदेशी अब तक वापस अपने वतन नहीं लौट पाए हैं। बीस से अधिक विदेशी पर्यटक कुल्लू में कई सालों से लापता हैं उनका कोई अता पता नहीं चल पा रहा है। कई विदेशी तो जेलों में बंद हैं। दरअसल, कुल्लू विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा सैरगाह रहा है यहां आसानी से भांग चरस व दूसरा नशा उपलब्ध है लिहाजा जो विदेशी यहां आया व वापिस लौटना नहीं चाहता किसी न किसी तरीके से यहां रहने की उसकी चाहत होती है। वहां के पहाड़ों में इसी वजह से कई विदेशी गुपचुप तरीके से महीनों तक रहते रहे हैं। बाद में पहाड़ों में लापता हो जाते हैं। पुलिस और प्रशासन सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर विदेशी सैलानी कुल्लू सस्ते और हाई क्वालिटी चरस की खोज में आते हैं, जोकि आम तौर पर यहां आसानी से मिल जाता है। विदेशी पर्यटक गांवों में महीनों गुजारते हैं और शायद भी ट्रेकिंग या साइटसीइंग के लिए जाते हैं। वे एक गांव से दूसरे गांव में ही जाते रहते हैं।
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युवाओं में नशीले पदार्थों की तस्करी और लत में बदलते रुझान, राजनेताओं सहित कुछ शक्तिशाली लोगों के मौन समर्थन के साथ स्थानीय पेडलर्स और अंतर्राष्ट्रीय ड्रग माफिया के बीच गहरे गठजोड़ की वजह से यहां यह अवैध कारोबार खूब फला फूला है। हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशीले पदार्थों के कारोबार का अंदाजा आधिकारिक आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 2,126 मामले दर्ज किए गए और 1 जनवरी, 2020 से 31 अप्रैल, 2021 के बीच 2,909 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 682 किलो चरस, 15 किलो हेरोइन, 50 किलो अफीम, 4,805 किलो पोस्त की भूसी, 376 किलो गांजा, 128,330 सिंथेटिक टैबलेट और 52,194 कैप्सूल जब्त किए गए। प्रतिबंधित सामग्री की आपूर्ति को रोकने के लिए 7,917 बीघा में 12,52,455 भांग के पौधे और 52 बीघा में 266,353 पोस्त के पौधे की अवैध खेती का पता लगाया गया और इस दौरान पुलिस ने उन्हें नष्ट कर दिया।
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पुलिस ने मंडी जिले की चौहार घाटी में एक सुदूर टिक्कन उप-तहसील में 15 लाख पोस्त के पौधों के साथ अवैध खेती के तहत 66 बीघा जमीन का पता लगाने में भी सफलता हासिल की। पुलिस ने 19 मामलों में नशा करने वालों की 11.37 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। यहां तक कि तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी राज्य की राजधानी में 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर एक समारोह में पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए खतरनाक स्थिति की चेतावनी दी। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के रूप में जाना जाता है और इसकी संस्कृति, जीवन शैली और विचारधारा बहुत समृद्ध है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या गंभीर रूप से पैदा हो गई है और अगर हमने इसे तुरंत नहीं रोका तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी खराब हो सकती है।
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