क्या ईस्ट बंगाल क्लब के जरिए वोट बैंक मजबूत करने में जुटी हैं ममता बनर्जी ?

mamata banerjee

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में ईस्ट बंगाल क्लब से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए कहा कि 'फुटबॉल के बिना बंगाल अधूरा है।'

कोलकाता। भारत के सबसे पुराने क्लबों में से एक ईस्ट बंगाल क्लब ने हाल में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं। ऐसे में प्रदेश की ममता बनर्जी सरकार देश के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में ईस्ट बंगाल को एंट्री दिलाने का प्रयास कर रही हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीता अंबानी और आईएसएल के अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। क्योंकि ममता बनर्जी को यह पता है कि बंगालियों के लिए फुटबॉल सिर्फ खेल नहीं बल्कि भावनाओं के साथ-साथ अपनी क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक है। 

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हाल ही ममता बनर्जी ने 100 साल पूरे कर चुके ईस्ट बंगाल क्लब को प्रायोजक दिलाने का काम किया था क्योंकि यह क्लब काफी समय से प्रायोजकों की किल्लत का सामना कर रहा था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि ईस्ट बंगाल क्लब आईएसएल में हिस्सा लेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी ने यह कदम आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया है। क्योंकि उन्हें पता है कि फुटबॉल के जरिए बंगाल की जनता के दिलों में वह छाप छोड़ सकती हैं।

वोटवैंक कर रही मजबूत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईस्ट बंगाल क्लब को पुर्नजीवित कर ममता बनर्जी ने 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपना वोट बैंक मजबूत किया है। क्योंकि ईस्ट बंगाल क्लब पूर्वी बंगाल या फिर बांग्लादेश से आए लोगों की अस्मिता का प्रतीक है। जबकि मोहान बागान पश्चिमी बंगाल के स्थानीयों से और मोहम्मडन क्लब अल्पसंख्यकों से जुड़ा हुआ माना जाता है। 

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ममता बनर्जी ने बुधवार को ईस्ट बंगाल क्लब से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए कहा कि 'फुटबॉल के बिना बंगाल अधूरा है।' इसके साथ ही उन्होंने कहा था हम लोग सभी क्लबों को पसंद करते हैं और हम चाहते हैं कि ईस्ट बंगाल आईएसएल में खेले।

प्रायोजक दिलाकर ममता बनर्जी ने जिस तरह से ईस्ट बंगाल को जीवनदान दिया जिसके बाद से 'जय ईस्ट बंगाल, जय ममता बनर्जी' के नारे लगने लगे। बता दें कि बंगाल में ईस्ट बंगाल क्लब के करीब 3 करोड़ फैन्स हैं जिनकी बड़ी तादाद उत्तरी बंगाल में रहती है और वैसे भी प्रदेश में कहा जाता है कि जिसे फुटबॉल पसंद नहीं वह असल बंगाली नहीं। 

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एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार गौतम होर ने कहा कि आजादी के बाद या फिर 1971 के बाद पूर्वी पाकिस्तान जो फिर बांग्लादेश बन गया था, से भारत आए लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ा था। ऐसे में पूर्वी पाकिस्तान से आए अधिकांश लोग ईस्ट बंगाल के फैन्स हैं और वह क्लब के हर मैच में अपना संघर्ष और अपनी जीत को देखते हैं।

माना जा रहा है कि ममता बनर्जी ने 2021 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ईस्ट बंगाल क्लब के नाम पर अपनी गुडबिल को सुधारने का काम किया है। जो विधानसभा चुनाव में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

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