मालेगांव विस्फोट: RSS नेता ने मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी से माफीनामे की मांग की

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कुमार की यह प्रतिक्रिया 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के एक गवाह के मुकर जाने और मुंबई की एक अदालत में यह गवाही देने के बाद आई है कि तत्कालीन वरिष्ठ एटीएस अधिकारी परम बीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के चार अन्य नेताओं का नाम लेने की धमकी दी थी।

नयी दिल्ली। वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में एक गवाह के इस बयान के बाद कि उसे भाजपा और आरएसएस नेताओं के नाम लेने के लिए धमकी दी गई थी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें तथाकथित ‘भगवा आतंकवाद’ के झूठे मामलों में फंसाने के लिए गंदी राजनीतिक साजिश रची गई थी। उन्होंने भाजपा और आरएसएस नेताओं के चरित्र हनन के लिए कांग्रेस नेताओं - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद से माफीनामे की मांग की। कुमार की यह प्रतिक्रिया 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के एक गवाह के मुकर जाने और मुंबई की एक अदालत में यह गवाही देने के बाद आई है कि तत्कालीन वरिष्ठ एटीएस अधिकारी परम बीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के चार अन्य नेताओं का नाम लेने की धमकी दी थी। धन की उगाही करने और अन्य मामलों का सामना कर रहे परम बीर सिंह को इसी महीने निलंबित कर दिया गया था। आरएसएस नेता ने एक ऑडियो संदेश में कहा, ‘‘इसने (गवाह के बयान ने) साबित कर दिया है कि उस समय के कथित भगवा आतंकवाद के सभी (दर्ज) मामले कांग्रेस द्वारा अपनी गंदी राजनीति के तहत रची गई साजिश थी।’’ कुमार ने अब विपक्ष में बैठे अन्य राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने भी ‘‘एक बड़ा पाप और अपराध’’ किया है, क्योंकि वे कांग्रेस और उसकी गठबंधन सरकार की ‘‘गंदी राजनीति और झूठी साजिश’’ के साथ खड़े थे, ताकि तथाकथित भगवा आतंकी मामलों में भाजपा और आरएसएस के नेताओं को फंसाया जा सके। अपने बयान में, गवाह ने दावा किया कि एटीएस ने उसे प्रताड़ित किया और अपने कार्यालय में अवैध रूप से बैठाया। इस मामले में अब तक 220 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है और उनमें से 15 मुकर गए हैं। 

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कुमार ने दावा किया कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने तथाकथित भगवा आतंकी मामलों में भाजपा और आरएसएस के नेताओं को घसीटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन किसी भी प्राथमिकी में हमारे नाम नहीं जोड़ सकी, क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सलमान (खुर्शीद), दिग्विजय सिंह- इन सभी को इतना बड़ा पाप और अपराध करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।’’ आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कुमार ने लोगों से ‘‘लोकतांत्रिक रूप से’’ उन सभी दलों और नेताओं को सबक सिखाने की अपील की, जो ‘‘भगवा आतंकवाद के निर्माण’’ में शामिल थे या ‘‘ऐसी अमानवीय राजनीति’’ का समर्थन करते थे। मामले के आरोपियों में लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। ये सभी जमानत पर बाहर हैं।

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