अयोध्या में राम मंदिर का मुख्य द्वार महाराष्ट्र से भेजी गई लकड़ी से होगा निर्मित, खास है इसके पीछे की वजह

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रितिका कमठान । Mar 29 2023 2:57PM

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर कई तरह की खास तैयारियां की जा रही है। राम मंदिर के निर्माण के लिए देश और विदेशों से विशेष सामग्री लाई जा रही है जिससे राम मंदिर निर्माण में उपयोग लाया जाएगा।

अयोध्या में बन रहे प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर को देखने के लिए देश और दुनिया भर के भक्त बेहद उत्साहित है। अयोध्या  में बन रहे श्री राम मंदिर के निर्माण में देश और दुनिया से विशेष सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। एक तरफ जहां नेपाल से आई शालिग्राम शिला से मंदिर में मूर्ति का निर्माण होगा। वहीं मंदिर की दीवारों और दरवारों पर भी खास काम किया जाएगा।

इसी बीच सामने आया है कि मंदिर के प्रवेश द्वार का निर्माण सागवान की लकड़ी से होगा। इस प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर से उच्चतम कोटि की सागवान की लकड़ी अयोध्या भेजी जाएगी। इस लकड़ी को अयोध्या के लिए रवाना करने से पहले चंद्रपुर में शानदार रैली का आयोजन होगा। रैली में ही लकड़ी की विधि विधान से पूजा की जाएगी, जिसके बाद लकड़ी की पहली खेप 1855 क्यूबिक फीट को ट्रकों में लाद कर अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा।

पौराणिक वन की लकड़ी का उपयोग

अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए जिस जंगल से सागवान की लकड़ी लाई जा रही है वो बेहद ही शुभ है। दरअसल प्रभु श्रीराम अपने वनवास के दौरान दंडकारण्य जंगल में आए थे। वनवास का काफी समय उन्होंने इस जंगल में व्यतीत किया। वर्तमान में चंद्रपुर और आसपास के इलाके को ही दंडकारण्य जंगल कहा जाता था।

बता दें कि भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ का ननिहाल भी चंद्रपुर का माना जाता है। रामायण से कई रूपों में जुड़े होने के कारण सागवान की लकड़ी उपलब्ध कराने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को पत्र लिखा था।

गौरतलब है कि चंद्रपुर के सागवान की लकड़ी देश की सबसे बढ़िया गुणवत्ता वाली लकड़ी है। इसकी जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट ने मांगी थी, जिसके जवाब में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस लकड़ी की जानकारी दी थी। बता दें कि सागवान की लकड़ी का उपयोग कलाकृति करने के लिए किया जाता है। इस लकड़ी की खासियत है कि ये सालों तक खराब नहीं होती है। कहा जाता है कि 1000 वर्षों तक भी इस लकड़ी पर दीमक नहीं लगता है क्योंकि इस लकड़ी में तेल की मात्रा काफी अधिक होती है, जिससे ये जल्दी खराब नहीं होती है।

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