किसानों के लिए महायुति सरकार के बड़े कदम बळीराजा चेतना, MSP वृद्धि से लेकर सिंचाई प्रोजेक्ट तक

Mahayuti
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Anoop Prajapati । Sep 23 2024 12:20PM

भारत की अर्थव्यवस्था ग्रामीण से लेकर शहरी अर्थव्यस्था कृषि सेक्टर पर ही निर्भर है। इस क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान कम ही रहा है, लेकिन पिछले एक दशक के भीतर कई बड़े कदम उठाए गए। महाराष्ट्र में शहरी क्षेत्र को छोड़कर राज्य के अन्य क्षेत्रों में कृषि ही आय का मुख्य स्रोत है।

भारत की अर्थव्यवस्था ग्रामीण से लेकर शहरी अर्थव्यस्था कृषि सेक्टर पर ही निर्भर है। इस क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान कम ही रहा है, लेकिन पिछले एक दशक के भीतर कई बड़े कदम उठाए गए। महाराष्ट्र में शहरी क्षेत्र को छोड़कर राज्य के अन्य क्षेत्रों में कृषि ही आय का मुख्य स्रोत है। प्रदेश में चावल, गन्ना, ज्वार, बाजरा, सब्जियां, फलों के बागान, केले, संतरे जैसी फसलें प्रमुखता से उगाई जाती हैं। महायुति सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। दरअसल, बदलते मौसम, बारिश की अनिश्चितता, अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के कारण फसलों को मिलने वाला कम दाम, जमीन का टुकड़ीकरण, बढ़ी हुई उत्पादन लागत और मजदूरों की कमी के कारण कृषि व्यवसाय फिलहाल मुश्किल में है। 

ऐसे में आर्थिक संकट में फंसे किसानों को समृद्धि की राह पर लाने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। सरकार लगातार नीतिगत निर्णय और बुनियादी सुविधाओं का विकास करके किसानों का जीवन सरल बनाने के प्रयास कर रही है।

किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि

किसानों के लिए प्याज के दाम अक्सर बदलते मौसम, असमय बारिश और अंतरराष्ट्रीय कारकों से प्रभावित होते हैं। केंद्र सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क कम करने का निर्णय लिया है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और संकेत मिलता है कि किसानों को बेहतर दाम मिल सकते हैं। प्याज के अलावा, सोयाबीन, सूरजमुखी तेल और पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है, जिससे स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि होने की उम्मीद है।

इसके अलावा सोयाबीन, कपास, ज्वार और चावल जैसी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अनुमान है कि इन फसलों की उत्पादन लागत में 50% की वृद्धि हुई है, जबकि अरहर, मूंग, उड़द और बाजरा के लिए यह वृद्धि 50% से अधिक हो गई है। महाराष्ट्र में गन्ना एक लाभकारी फसल बनी हुई है। पश्चिमी महाराष्ट्र के किसानों के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। गन्ने के एफआरपी को भी काफी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

सरकार ने बिजली आपूर्ति में भी किया सुधार 

महाराष्ट्र राज्य में बिजली कटौती में काफी कमी हुई है। सरकार ने 44 लाख किसानों के लिए कृषि उद्देश्यों हेतु मुफ्त बिजली आपूर्ति करने का वादा किया है। सरकार में ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में घोषणा की कि किसानों के बकाया बिलों की वसूली नहीं की जाएगी। अब किसानों को खेती के कार्यों के लिए दिन में निर्बाध बिजली मिलेगी, जिससे उन्हें खतरनाक परिस्थितियों में रात में फसलों की सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्यमंत्री सौर कृषि योजना की शुरुआत सरकार द्वारा लिया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय है। पहला सौर ऊर्जा परियोजना, जो तीन मेगावाट बिजली उत्पन्न करेगी, छत्रपति संभाजी नगर जिले में लागू की जा रही है।

सोयाबीन किसानों को सराकर ने दिये प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपए 

महाराष्ट्र में गन्ने के बाद सोयाबीन और प्याज की खेती सबसे अधिक की जाती है। लेकिन अक्सर अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियां इन कृषि उपजों के रेट अक्सर प्रभावित करती है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों ने इसके प्रभाव से किसानों को बचाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। इसके लिए सरकार ने मूल्य अंतर योजना शुरू की है। राज्य सरकार ने अब इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹5,000 देने का निर्णय लिया है। इस पहल से विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों के सोयाबीन किसानों को लाभ होने की उम्मीद है।

काजू किसानों के लिए भी हुई राहत 

पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ने की समृद्धि की याद दिलाते हुए, काजू की खेती कोंकण क्षेत्र के किसानों के लिए एक स्थिरता का स्रोत बन गई है। राज्य में काजू उत्पादकों की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए, सब्सिडी काजू निगम के माध्यम से वितरित की जाएगी। इन सब्सिडियों के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को अधिक किसानों को समायोजित करने के लिए बढ़ा दिया गया है।

सभी मुख्य नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं को दी मंजूरी 

विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों को अपर्याप्त जल आपूर्ति के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सरकार ने नार-पार, वैनगंगा-नलगंगा और वैतरणा-गोदावरी जैसी नदी जोड़ने वाली परियोजनाओं को मंजूरी मिल गई है। इन पहलों का उद्देश्य हजारों करोड़ रुपये के निवेश के साथ कई जिलों में पानी की आपूर्ति करना और बड़े पैमाने पर भूमि को सिंचाई के तहत लाना है। इस विकास से उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिमी विदर्भ और मराठवाड़ा में जल समस्याओं को काफी हद तक कम करने की उम्मीद है।

मराठवाड़ा वाटर ग्रिड परियोजना 

जलयुक्त शिवार, इच्छुक किसानों के लिए खेत तालाब, जरूरतमंदों के लिए कुएं, स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई की योजनाएं, और फलों के बागों के लिए सब्सिडी स्कीम को महायुति सरकार ने  फिर से सक्रिय किया है। इसके अलावा जनाई शिर्साई योजना अब नहरों की बजाय पाइपलाइनों के माध्यम से पानी पहुंचाएगी, जिससे 14,000 हेक्टेयर तक सिंचाई होगी। निलवांडे बांध का उद्घाटन होने से अकोले, संगमनेर, राहाता, श्रीरामपुर, कोपरगांव और सिन्नार तालुकाओं के 182 गांवों में 70,000 हेक्टेयर में सिंचाई संभव हो गई है। सरकार पूरे महाराष्ट्र में नहर नेटवर्क स्थापित करने का प्रयास कर रही है और पानी की बर्बादी को कम करने के लिए उन्हें कंक्रीट कर रही है।

किसानों को दी वित्तीय सहायता 

महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 1,000 रुपये, 500 रुपये केंद्र सरकार से और 500 रुपये राज्य सरकार सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कर रही है। असमय बारिश से प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता दी जा रही है। अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों को सहायता के रूप में वितरित की जा चुकी है। इसके अलावा, जो किसान नियमित रूप से अपने ऋण चुकाते हैं उन्हें अब 50,000 रुपये की प्रोत्साहन आधारित ऋण माफी मिल रही है, जिससे उनमें संतोष का भाव उत्पन्न हो रहा है।

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