मध्य प्रदेश दुष्कर्म के मामले में फिर पहले पायदान पर, बेरोजगारी के चलते बढ़ी आत्महत्याएँ
एनसीआरबी रिपोर्ट 2018 में अपराध से जुड़े जो आंकड़े सामने आए है वह काफी हैरान करने वाले हैं। देश में रोजाना औसतन 80 हत्याएं, 289 अपहरण तथा 91 दुष्कर्म की घटनाएं हुईं है। वही आत्महत्या के मामले में बेरोजगारी सबसे बड़ा कारण रहा। तो दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं में मध्य प्रदेश में इस साल हैट्रिक लगाई है।
भोपाल। देश में लगातार हो रहे अपराधों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने हाल ही में जारी की है। एनसीआरबी रिपोर्ट 2018 में अपराध से जुड़े जो आंकड़े सामने आए है वह काफी हैरान करने वाले हैं। देश में रोजाना औसतन 80 हत्याएं, 289 अपहरण तथा 91 दुष्कर्म की घटनाएं हुईं है। वही आत्महत्या के मामले में बेरोजगारी सबसे बड़ा कारण रहा। तो दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं में मध्य प्रदेश में इस साल हैट्रिक लगाई है।
वही मध्य प्रदेश बलात्कार के मामलों में वर्ष 2018 में भी फिर देश में पहले नंबर पर रहा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में देश में रेप की कुल 33,356 घटनाएं हुईं। इनमें से 5,433 घटनाएं मध्य प्रदेश में हुईं, जिनमें पीड़िताओं में छह साल से कम उम्र की 54 बच्चियां भी शामिल हैं। 2018 में रेप के मामलों में मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान 4,335 घटनाओं के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश इस तरह की 3,946 घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा। जबकि महाराष्ट्र 2142 और छत्तीसगढ़ 2091 घटनाओं के साथ चौथे और पाँचवे स्थान पर रहा।
एनसीआरपी द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में दुष्कर्म के जारी आंकडे में 16 प्रतिशत मामले अकेले मध्य प्रदेश के है। मध्यप्रदेश में दुष्कर्म के 5433 मामलों में 54 ऐसे मामले थे जिसमें पीड़िता की उम्र मात्र 6 वर्ष से कम ही थी। जबकि 6 से 12 वर्ष की उम्र की बालिकाओँ के साथ ऐसे 142 मामले दर्ज हुए वही 2841 मामले ऐसे दर्ज हुए जिसमें पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी।
मध्य प्रदेश लगातार तीसरी बार दुष्कर्म के मामले में पूरे देश में नम्बर वन रहा है। वर्ष 2016 में 4482 और 2017 में 5562 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। हालंकि साल 2017 के मुकाबले 2018 की तुलना में कमी आई है लेकिन 2016 के मुकाबले यह आंकड़ा बढ़ा है। मध्यप्रदेश अभियोजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अदालत ने 2018 में नाबालिग बच्चीयों के साथ बलात्कार के मामलों में 18 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई है।
वही दूसरी ओर बेरोजगारी के चलते लोगों ने 2018 में सर्वाधिक आत्महत्याएं की है। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ो पर नज़र दौड़ाए तो चौकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने खुदकुशी की जो 2017 के 1,29,887 आत्महत्या के मामलों के मुकाबले 3.6 प्रतिशत अधिक है। सभी तरह की आत्महत्या के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (17,972) में दर्ज किए गए। दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: तमिलनाडु (13,896), पश्चिम बंगाल (13,255), मध्य प्रदेश (11,775) और कर्नाटक (11,561) है। इन पांच राज्यों में ही 50.9 फीसदी खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में बेरोजगारी (Unemployment) के कारण खुदकुशी करने के आंकड़ों ने किसान आत्महत्याओं को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में किसानों से ज्यादा बेरोजगारों ने आत्महत्या की है। साल 2018 में 12,936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. इसी साल किसान आत्महत्या के आंकड़ों को देखें तो 10,349 किसानों ने खुदकुशी की थी। NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी के चलते महिलाओं से ज्यादा पुरुषों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के आंकड़ों को देखें तो 82 फीसदी पुरुषों ने बेरोजगारी से तंग आकर जान दे दी। बेरोजगारी के कारण खुदकुशी के मामले में पहले नंबर पर केरल है। केरल में 1585 लोगों ने सुसाइड किया है। इसके बाद सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260), कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं।
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