बिहार चुनाव के दूसरे चरण में जदयू के लिए चिंता का कारण बनी लोजपा

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अंकित सिंह । Nov 3 2020 3:54PM

2015 की बात करें तो इन्हीं क्षेत्रों में बीजेपी, जनता दल यू और आरजेडी को बाकी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद से इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि क्षेत्रों में इन तीन पार्टियों का कितना दबदबा है।

बिहार चुनाव को लेकर दूसरे चरण के मतदान सबसे दिलचस्प माने जा रहे है। दूसरे चरण की 94 सीटों पर होने वाली वोटिंग आने वाले दिनों में गठबंधन बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है। खास बात यह है कि इस चरण में नीतीश कुमार और लालू यादव के गृह जिले नालंदा और छपरा में भी चुनाव है जिसके बाद से एनडीए और महागठबंधन में कांटे की टक्कर बताई जा रही है। 2015 की बात करें तो इन्हीं क्षेत्रों में बीजेपी, जनता दल यू और आरजेडी को बाकी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद से इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि क्षेत्रों में इन तीन पार्टियों का कितना दबदबा है।

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भले ही 2015 में इन 94 सीटों में से भाजपा को 25.9 फ़ीसदी मत हासिल हुए थे पर सीटों के हिसाब से उसे सिर्फ और सिर्फ 20 सीटें ही हासिल हुई थी। इसमें से पटना के आस पास के लगभग 10 सीट शामिल हैं। इस चरण में पटना, भागलपुर, दानापुर, छपरा, बेगूसराय और बरौनी जैसे शहरी क्षेत्रों में भी चुनाव है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि इस चरण में उसे बेहतर नतीजे आएंगे। इसके अलावा भाजपा इस बात की भी उम्मीद कर रही है कि इस बार जदयू और कुछ छोटे दलों के साथ गठबंधन उसे और भी ज्यादा फायदा पहुंचा सकते है। अगर जदयू की बात करें तो 5 साल पहले वह इस क्षेत्र से 30 सीटें हासिल करने में कामयाब हुई थी। जबकि वोट प्रतिशत 17.3 ही रहा था। इस बार की जमीनी हकीकत 2015 से अलग है। इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को anti-incumbency का सामना करना पड़ रहा है। 

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लेकिन इससे ज्यादा जदयू के लिए चिंता की बात यह है कि उसे लोजपा का सामना करना पड़ रहा है। एलजेपी कई सीटों पर जदयू उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर रही है। हालांकि जदयू को इस बात की उम्मीद है कि भाजपा के साथ उसका गठबंधन चिराग के इस चाल की तोड़ जरूर निकाल सकता है। अगर देखा जाए तो यह क्षेत्र कांग्रेस के लिए कम चुनौती वाला है क्योंकि इस चरण में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। 2015 की बात करें तो कांग्रेस ने 27 में से केवल 7 सीटें जीती थी और उसका वोट प्रतिशत 5 से भी कम था। इस चरण में छोटी पार्टियों में जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा वह लोजपा ही है। सबसे खास बात यह है कि रामविलास के गढ़ के रूप में देखे जाने वाले हाजीपुर और रोसरा में भी इसी चरण में चुनाव है। 2015 में पार्टी ने यहीं से 2 सीटें भी निकाली थी।

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