जदयू का सवाल, 10 लाख नौकरियों के लिए कहां से धन जुटाएंगे आइंस्टाइन तेजस्वी
अरविंद निषाद ने कहा कि तेजस्वी यादव राजद की अति पिछड़ा विरोधी सोंच को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस क्षेत्र में जो कार्य किये गए हैं, उसके लिए अति पिछड़ा वर्ग पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में लामबंद है।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, डा. निहोरा प्रसाद यादव एवं अरविंद निषाद ने आज संयुक्त प्रेस वार्ता कार्य तेजस्वी यादव और आरजेडी पर बड़ा खुलासा किया है जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि 1000000 सरकारी नौकरी देने की स्कीम नवी खेल आइंस्टाइन तेजस्वी ने ने बताया पर 10 लाख नौकरियों के लिए वह कहां से 1 लाख 34 हज़ार करोड़ रुपये जुटाएंगे। इसका जवाब राजद फिलहाल नहीं ढूंढ सका है। उन्होंने कहा कि इस जवाब से बचने के लिए तेजस्वी ने अब नए हथकंडे को आजमाया है।
इसके अलावा तेजस्वी पर जदयू ने विधायकों की सैलरी बढ़ाने को लेकर भी पलटवार किया है जानिए पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य बातें:-रोज़गार देने के नाम पर @yadavtejashwi की अनुभवहीनता साफ़ देखी जा सकती है। उनको इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्या वह 10 लाख नौकरी बिहार का विकास रोक कर देंगे? क्या एक बार फिर बिहार बदहाली की ओर बढ़ेगा?
— Rajiv Ranjan Prasad (@RajivRanjanJDU) November 3, 2020
इस वादे की बुनियाद ही अनुभवहीनता पर आधारित है।@Jduonline @NitishKumar pic.twitter.com/PNXBIlfHp3
जानिए पूरी कहानी
विधायक की सैलरी: डेढ़ लाख,
कुल विधायक : 243
कुल सैलरी: तीन करोड़ चैंसठ लाख पचास हजार
पार्षद की सैलरी: डेढ़ लाख,
कुल पार्षद: 75
कुल सैलरी: एक करोड़ बारह लाख पचास हजार
कुल रुपया: 4 करोड़ 77 लाख महीना
बिहार विधानसभा चुनाव में दस लाख नौकरियों के राज का पर्दाफाश
जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे
आखिर कैसे देंगे जंगलराज के युवराज, बिहारी युवाओं को दस लाख सरकारी नौकरियां....
बताएंगे....
ज़रा पहले ये सुन लीजिए...
बाइट तेजस्वी यादव : 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए हम विधायकों, पार्षदों और मंत्रियों के सैलरी को काटेंगे।
सुन लिया आपने बिहार के नेता प्रतिपक्ष बिहार के जंगलराज के युवराज और नौंवी फेल आइंस्टीन देंगे बिहार के दस लाख युवाओं को प्रतिमाह 47.70 पैसे की नौकरी।
जनाब के पास दस लाख नौकरियां देने की कोई योजना नहीं है, लेकिन हर चुनावी सभा में बिहारी युवाओं को दे रहे हैं दस लाख सरकारी नौकरियों का झांसा।
झांसा देना इनकी पुरानी आदत है।
और ज़रा सुन लीजिए कि ये कैसे देंगे युवाओं को 47.70 पैसे प्रतिमाह की नौकरी
तेजस्वी यादव: हम सभी विधायकों, पार्षदों और मंत्रियों कि सैलरी भी काटेंगे।
अब ज़रा तेजस्वी जी के गणित का हिसाब भी लगा लीजिए....
बिहार की विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या है......243
प्रति विधायक प्रतिमाह वेतन है....डेढ़ लाख रुपये
यानी कुल वेतन हुआ तीन करोड़ चैंसठ लाख रुपये
अब इसी में विधान परिषद के सदस्यों यानी एम एल सी का वेतन भी जोड़ लीजिए
प्रति एम एल सी प्रतिमाह वेतन है डेढ़ लाख रुपये
यानी कुल वेतन हुआ एक करोड़ बारह लाख पचास हजार रुपये
यानी विधानसभा और विधानपरिषद के सभी सदस्यों का कुल वेतन होगा, कुल चार करोड़ सतत्तर लाख रुपये प्रतिमाह...
अब आधुनिक आंइस्टीन, तेजस्वी जी के तेज दिमाग के गुणा-गणित को समझिए.....इस चार करोड़ सतत्तर लाख रुपये को दस लाख से भाग कर दीजिए तो आपके पास कुल हिसाब बचता है सैंतालिस रुपये सत्तर पैसे प्रति व्यक्ति.....
अब कौन समझाए इन महाज्ञानी युवराज को कि दस लाख युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देते हुए उनके हिसाब में चूक हो गई है
बिहारी युवाओं को झांसा देने की तरकीब समझाते-समझाते तेजस्वी यादव अपने ही गणित में उलझ गए।
अब आप ही बताइए सैंतालिस रुपये सत्तर पैसे की सरकारी नौकरी देने का वादे पर सत्ता की कुर्सी पर नज़रे जमाए बैठे हैं।
वाह रे जंगलराज के युवराज,आपके पांव भी पालने में ही नज़र आ रहे हैं.
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तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आज भी जातीय वैमनष्य की राजनीति से बाहर निकल नहीं पा रही है। पहले सवर्ण आरक्षण का विरोध, फिर बाबू साहब प्रकरण ने इस मानसिकता को उजागर कर दिया है। डॉ निहोरा प्रसाद ने कहा कि परिवारवाद ने लोकतंत्र को कमजोर किया है। जनता इसके खिलाफ कमर कस चुकी है। तेजस्वी यादव कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं तो लोग हंसते हैं, जिनके पंद्रह वर्ष के सरकार में कानून के राज के स्थान पर गन का राज था, अवैध आग्नेयास्त्रों के मामले में बिहार अव्वल था। 13 फरवरी 1992 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने कहा कि मेरी भी जान सुरक्षित नहीं है। अधिकारियों पर सरकार का नहीं, उग्रवादियों एवं नक्सलियों का नियंत्रण था। अधिकारियों को उग्रवादियों एवं नक्सलियों के जन अदालत में शामिल होना एवं लेवी भी देना पड़ता था। अरविंद निषाद ने कहा कि तेजस्वी यादव राजद की अति पिछड़ा विरोधी सोंच को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस क्षेत्र में जो कार्य किये गए हैं, उसके लिए अति पिछड़ा वर्ग पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में लामबंद है।
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