अर्बन मोबिलिटी इंडिया सम्मेलन में बोले पुरी, कोरोना के बाद शहरों में परिवहन को लेकर व्यवहार में बदलाव की संभावना: पुरी

Hardeep Singh Puri

केंद्रीय मंत्री ने ‘13वें अर्बन मोबिलिटी इंडिया सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य में पर्यावरण अनुकूल, एकीकृत, स्वचालित और निजी यात्रा सेवाओं की मांग बढ़ेगी।

नयी दिल्ली। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद शहरों में परिवहन, आवाजाही संबंधी व्यवहार में बदलाव आने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री ने ‘13वें अर्बन मोबिलिटी इंडिया सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य में पर्यावरण अनुकूल, एकीकृत, स्वचालित और निजी यात्रा सेवाओं की मांग बढ़ेगी। इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय ‘इमर्जिंग ट्रेंड्स इन अर्बन मोबिलिटी’ यानि शहरी गतिशीलता का उभरता रुख था। 

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मंत्री ने कहा कि परिवहन व्यवस्था में बेहतरी और यातायात प्रबंधन को लेकर उपायों से बड़े शहरों में आवागमन सुलभ होगा। पुरी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के बाद शहरों में आवाजाही के संबंध में व्यवहार में बदलाव नजर आने की संभावना है। मौजूदा संकट लंबे विकास लक्ष्यों के प्रति शहरी परिवहन को बेहतर करने के अवसर जैसा भी है।’’ उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचनाओं में निवेश से लोगों के निवास स्थानों में भी बदलाव होगा और सामानों की आवाजाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। वर्तमान में इससे रोजगार का सृजन होगा और भविष्य में विकास और उत्पादकता बढ़ेगी।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने एक विस्तृत परामर्श जारी किया है कि इस कठिन समय में किस तरह देश को आगे बढ़ने की जरूरत है। यह तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है-सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की बेहतरी, प्रौद्योगिकी का समावेश और शहरी परिवहन व्यवस्था में एनएमटी सिस्टम को शामिल करना। मंत्रालय ने कहा, ‘‘विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि शहरों के आकार के आधार पर 16-57 प्रतिशत शहरी यात्री पैदल चलते हैं और करीब 30-40 प्रतिशत साइकिल का इस्तेमाल करते हैं।’’ 

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मंत्रालय ने कहा कि इसे एक अवसर मानते हुए इन माध्यमों को प्राथमिकता के साथ विस्तारित कर यात्रियों को निजी वाहनों का सुरक्षित, स्वच्छ और बेहतर विकल्प मुहैया कराने की जरूरत है। इसे खासकर अन्य माध्यमों के साथ जोड़ा जाए और यह सबके लिए किफायती हो।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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