Independence Day 2022: 'ये आजादी झूठी है' कहने वाले वामपंथी दलों ने 74 सालों तक पार्टी कार्यालय में नहीं फहराया था तिरंगा
तिरंगे को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर भी निशाना साधा जाता रहा है। लेकिन आपको पता है कि वामपंथियों पार्टियों ने आजादी को झूठा बताते हुए पिछले सात दशकों में तिरंगा नहीं फहराया।
दिल्ली सज धज कर तैयार है बलिदान, समर्पण, उपलब्धि के अभूतपूर्व लम्हे को मनाने के लिए। भारत का राष्ट्रीय झंडा देश के हर नागरिक के गौरव और सम्मान का प्रतीक है। जब भी कोई तिरंगे को फहराता है तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है। भारत इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी का 75वां साल है तो जश्न भी उसी सरीखा होना चाहिए, तैयारियां भी कुछ ऐसी ही है। तिरंगे को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर भी निशाना साधा जाता रहा है। लेकिन आपको पता है कि वामपंथियों पार्टियों ने आजादी को झूठा बताते हुए पिछले सात दशकों में तिरंगा नहीं फहराया। लेकिन बदलते वक्त के साथ बीते बरस से वामपंथी दलों ने राष्ट्रवाद को लेकर अपनी विचारधारा में परिवर्तन का निर्णय किया। भाकपा में साल 1964 में विभाजन के बाद माकपा अस्तित्व में आई थी।
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सीपीएम ने साल 2021 में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर राज्य मुख्यालय पर तिरंगा फहराया। जो 1948 के 'ये आजादी झूठा है' दिनों से लेकर 2021 के बीते सात दशकों के दौर में पहली बार हुआ। बता दें कि भारत को जब आजादी मिली तो उस वक्त अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने नारा दिया था कि ‘ये आजादी झूठी है। विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने मुख्य वपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के बाद वाम दलों की ओर से पार्टी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रस्ताव को सीपीएम केंद्रीय समिति की तीन दिवसीय आभासी बैठक में अपनाया गया। कम्युनिस्टों का मानना था कि कम्युनिस्टों ने कहा कि भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल की, लेकिन लोगों को आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिली।
भाकपा के हैंडल पर तिरंगा नहीं
आजादी के अमृत महोत्सव में मोदी सरकार से लेकर विपक्ष तक के नेता अपने अपने तरीके से इस जश्न में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से भी अपने ट्विटर की डीपी में बदलाव करते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की हाथों में तिरंगा झंडा लिए तस्वीर लगाई है। लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के ट्वीटर हैंडल पर अभी भी आपको तिरंगे की तस्वीर नहीं नजर आएगी। यही आलम माकपा के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल का भी है। वहीं भाकपा के केरल और पुडुचेरी जैसे राज्यों के सोशल मीडिया हैंडल का भी यही हाल है।
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