Lateral entry: मोदी सरकार के यू-र्टन पर बोले राहुल गांधी, संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे
कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि संविधान की जीत हुई। मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साजिश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है।
नौकरशाही में लेटरल एंट्री के लिए केंद्र द्वारा नवीनतम विज्ञापन वापस लेने के बाद, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर संविधान और आरक्षण प्रणाली की रक्षा करेगी और भाजपा की "साजिशों" को विफल करेगी। उनकी टिप्पणी केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की अध्यक्ष प्रीति सूदन को लिखे गए पत्र के बाद आई है। राहुल ने एक्स पर लिखा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे।
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कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे। जय हिन्द। कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि संविधान की जीत हुई। मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साजिश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है। पार्टी ने आगे लिखा कि आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता विपक्ष राहुल गांधी और INDIA गठबंधन ने खुलकर विरोध किया। इसकी वजह से मोदी सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा है। ये बाबा साहेब के संविधान की जीत है. ये हर दलित, शोषित, पिछड़ों की जीत है।
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केंद्र सरकार ने विवाद के बीच मंगलवार को यूपीएससी को नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित नवीनतम विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा “ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।” यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। लेटरल एंट्री को सरकारी विभागों में (निजी क्षेत्रों के विशेषज्ञों सहित) विभिन्न विशेषज्ञों की नियुक्ति कहा जाता है। इस निर्णय की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी।
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