Lal Krishna Advani Birthday: BJP के 'कर्णधार' हैं लाल कृष्ण आडवाणी, पार्टी को शून्य से सत्ता के शिखर तक पहुंचाया
आज यानी की 08 नवंबर को भारत के राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी अपना 97वां जन्मदिन मना रहे हैं। आडवाणी का राजनीतिक जीवन काफी संघर्षमय रहा और उतना ही ज्यादा सफल भी रहा।
आज यानी की 08 नवंबर को भारत के राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी अपना 97वां जन्मदिन मना रहे हैं। महज 14 साल की उम्र से ही उनके मन में देशभक्ति की भावना जगी। इसका प्रमुख कारण आरएसएस था। उनका परिवार पाकिस्तान में रहता था, लेकिन भारत के विभाजन के बाद आडवाणी का परिवार भारत आकर बस गया। उस दौरान लाल कृष्ण आडवाणी की उम्र 20 साल थी। हालांकि आडवाणी का राजनीतिक जीवन काफी संघर्षमय रहा और उतना ही ज्यादा सफल भी रहा।
लाल कृष्ण आडवाणी को भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि आडवाणी ने अपने कंधों पर बीजेपी को शून्य से सत्ता के शिखर तक पहुंचाने का काम किया। वर्तमान समय में बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। वहीं जब पार्टी के संघर्ष के दिन खत्म हुए, तो अपनों ने ही आडवाणी को किनारे लगा दिया। हालांकि पार्टी के पुराने लोग उनको देश के प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते थे। लेकिन साल 2014 के बाद लाल कृष्ण आडवाणी को उम्र का हवाला देकर इलेक्टोरल पॉलिटिक्स से बाहर कर दिया गया। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर लाल कृष्ण आडवाणी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
पाकिस्तान के कराची में 08 नवंबर 1927 को लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। इनके पिता एक साधारण व्यापारी थे। आडवाणी की परिवार भारत विभाजन के बाद भारत आ गया और उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से आडवाणी ने कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही लाल कृष्ण आडवाणी का झुकाव आरएसएस की ओर हुआ, जहां से उनके राजनीतिक जीवन की नींव रखी गई।
राजनीति में प्रवेश
आडवाणी ने भारतीय जनसंघ से अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत की थी। साल 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसको स्थापित किया था। आडवाणी ने जनसंघ के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया और जनसंघ की नीतियों व विचारधारा को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। भाजपा की स्थापना के समय आडवाणी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे। बता दें कि आडवाणी की छवि दृढ़ विचारधारा वाले नेता की रही। उन्होंने पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।
साल 1980 में राम जन्मभूमि आंदोलन ने जोर पकड़ा, तो वह लाल कृष्ण आडवाणी थे जिन्होंने उस आंदोलन का नेतृत्व किया था। आडवाणी की 'रथ यात्रा' से उनको राष्ट्रव्यापी पहचान मिली और भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने में अहम भूमिका निभाई थी।
सफलता और उपलब्धियां
साल 2002 से लेकर 2004 तक आडवाणी ने भारत के उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी देश को मजबूती प्रदान की। आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी ने केंद्र में अपना स्थायी स्थान बनाया और साल 1999 से लेकर 2004 तक एनडीए सरकार की स्थापना की। लाल कृष्ण आडवाणी भारत में गठबंधन सरकारों के विचारों को प्रत्साहित करने वाले पहले नेताओं में शामिल थे। उनका एक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण था। जिसमें उन्होंने समावेशिता और सहिष्णुता के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया। यह आडवाणी की मेहनत, निष्ठा और दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि बीजेपी ने अपनी विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ बड़ी सफलता हासिल की।
आडवाणी का योगदान और विरासत
बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी ने राजनीति में नैतिकता और सेवा के महत्व को बनाए रखा वह राजनीति को सिर्फ सत्ता पाने का साधन नहीं मानते थे, बल्कि वह राजनीति को राष्ट्र की सेवा का जरिया मानते थे। आडवाणी की सोच ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने का काम किया और भारतीय जनता पार्टी को एक सशक्त पार्टी के तौर पर स्थापित करने में बेहद अहम भूमिका निभाई।
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