कुरियन ने सरकार से कहा: आंदोलन कर रहे किसानों से बात करें
राज्यसभा के उप सभापति पीजे कुरियन ने आज सरकार को तमिलनाडु के सूखा प्रभावित किसानों से बात करने के लिए कहा ताकि वे अपना आंदोलन समाप्त कर सकें।
राज्यसभा के उप सभापति पीजे कुरियन ने आज सरकार को तमिलनाडु के सूखा प्रभावित किसानों से बात करने के लिए कहा ताकि वे अपना आंदोलन समाप्त कर सकें। ये किसान फसल ऋण माफ किए जाने की मांग को लेकर करीब एक माह से आंदोलन कर रहे हैं। तमिलनाडु के सूखा प्रभावित किसानों द्वारा आंदोलन किए जाने का मुद्दा द्रमुक के तिरुचि शिवा ने उठाया। उन्होंने इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत कामकाज निलंबित कर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि करीब एक माह से किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई उनकी पीड़ा सुनने के लिए भी नहीं गया।
उन्होंने कहा कि किसान अपना फसल ऋण माफ करने तथा कावेरी नदी के पानी की मांग कर रहे हैं ताकि सूखाग्रस्त राज्य को संकट से उबरने में राहत मिल सके। कुरियन ने उनके नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस को अस्वीकार कर दिया लेकिन उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति दी। शिवा ने कहा कि किसानों ने फसल ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लिया था और केंद्र सरकार को उन्हें आश्वासन देना चाहिए। ‘‘प्रधानमंत्री या वरिष्ठ मंत्री को चाहिए कि वह आश्वासन दें। लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई भी इन किसानों की पीड़ा सुनने तक नहीं गया। केंद्र सरकार के मन में तमिलनाडु के किसानों के लिए कोई संवेदना या सहानुभूति नहीं है।’’
द्रमुक की धुर विरोधी अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने शिवा का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए। भाकपा के डी राजा ने कहा कि तमिलनाडु के किसानों की हालत के प्रति सरकार का रवैया असंवेदनशील है। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि आंदोलन कर रहे किसानों के पास भूख मिटाने के लिए अनाज नहीं है। ‘‘यह कैसी विडंबना है कि देश का अन्नदाता खुद अन्न के लिए मोहताज है।’’ कुरियन ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्रों में मानव खोपड़ियां रख कर आंदोलन कर रहे किसानों की तस्वीरें देखी हैं। उन्होंने संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से कहा कि सरकार के एक प्रतिनिधि को इन किसानों से जा कर मिलना चाहिए, उसे बात करनी चाहिए और उनका आंदोलन खत्म करने के लिए कहना चाहिए। सदस्यों की भावना से सहमति जताते हुए नकवी ने कहा कि यह एक संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण मुद्दा है और वह संबंधित मंत्री को सदन की भावना से अवगत कराएंगे।
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