UP Election 2022 । यूपी चुनाव में हॉट सीट रहती है कुंडा, राजा भैया के गढ़ में कई दिग्गज लगा रहे दांव
1993 में पहली बार कुंडा से रघुराज प्रताप सिंह यानी कि राजा भैया निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। तब से आज तक, यहां उनकी तूती बोलती है। 1993 से राजा भैया लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जारी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने अपने दांव-पेंच लगाने शुरू कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश का एक जिला है प्रतापगढ़ जहां की सीट कुंडा अपने आप में सुर्खियों में रहती है। कुंडा से राजा भैया विधायक हैं और एक बार फिर से वह चुनावी मैदान में हैं। माना जाता है कि कुंडा में राजा भैया का अपना दबदबा रहता है। राजा भैया यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार के चुनाव में भी इस सीट की खूब चर्चा हो रही है। सवाल यही है कि क्या इस बार कुंडा में फिर से राजा भैया का दबदबा देखने को मिलेगा या कोई और पार्टी यहां जीत हासिल करेगी?
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कुंडा विधानसभा सीट का इतिहास
1951 में पहली बार हुए चुनाव में कुंडा विधानसभा क्षेत्र से रामनरेश शुक्ला ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था पर पहली बार विधायक बने थे इसके बाद यहां आई एन डी एस एस पी और जेएनपी को भी मौका मिला। 1962 में यहां कांग्रेस के प्रत्याशी नियाज हसन ने जीत हासिल की। 1989 तक नियाज हसन ने कुंडा सीट से लगातार 6 बार जीत हासिल की। 1991 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार और एकमात्र जीत यहां हासिल की। भाजपा के उम्मीदवार शिव नारायण मिश्रा ने नियाज हसन को हराया था।
1993 में पहली बार कुंडा से रघुराज प्रताप सिंह यानी कि राजा भैया निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। तब से आज तक, यहां उनकी तूती बोलती है। 1993 से राजा भैया लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1993 में राजा भैया ने नियाज हसन के बेटे ताहिर हसन को हराया था। राजा भैया ने 1996 में भाजपा और 2002 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को हराया था। इसके बाद 2007, 2012 और 2017 में उन्हें समाजवादी पार्टी का सहयोग मिला। हालांकि इस बार अखिलेश यादव ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया है। इसका मतलब साफ है कि कुंडा में राजा भैया को इस बार समाजवादी पार्टी भी चुनौती देती दिखाई दे रही है।
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इस बार कितनी है टक्कर
2022 के विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया के यहां से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। राजा भैया इस बार अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार होंगे जिसके वह भी अध्यक्ष हैं। भाजपा ने सिंधुजा मिश्रा सेनानी को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा ने गुलशन यादव को टिकट दिया है। गुलशन यादव कभी राजा भैया के करीबी हुआ करते थे जबकि बसपा ने मोहम्मद फहीम उर्फ पप्पू को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा है।
कुंडा के मुद्दे
कुंडा प्रयागराज से काफी सटा हुआ है। बावजूद इसके इलाके में चिकित्सा व्यवस्था बेहद ही खराब है। इसके अलावा कुंडा और बाबागंज विधानसभा क्षेत्र के बीच से गुजरने वाली बकुलाही नदी का पानी भी बड़ा मुद्दा है क्योंकि इस नदी की पानी से फसलें डूब जाती हैं। यहां के किसानों के भी अपने अलग मुद्दे हैं। विधानसभा सीट में तो मुख्य सड़के अच्छी हैं परंतु ग्रामीण सड़कों का हाल अभी भी बेहाल है। यहां के लोगों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था तो मिलनी ही चाहिए। लेकिन अब भी यहां तकनीकी शिक्षण संस्थानों का आभाव है।
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