हिंदू पक्ष के हक में फैसला, मुस्लिम पक्ष की आपत्ति, जानें ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी पर कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें
उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की मांग करते हुए पांच हिंदू महिलाओं ने याचिका दायर की थी।
वाराणसी जिला और सत्र अदालत ने सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की उस दीवानी मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के टाइटल और उसके आसपास की भूमि पर सवाल उठाया गया था। बता दें कि उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की मांग करते हुए पांच हिंदू महिलाओं ने याचिका दायर की थी। जिला जज एके विश्वेश द्वारा बर्खास्तगी का मतलब है कि दीवानी मुकदमों पर विस्तार से सुनवाई होगी और सबूतों की जांच होगी।
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12 सितंबर को दिए गए आदेश के मुख्य अंश
1. वाराणसी जिला अदालत ने श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मस्जिद मामले की स्थिरता के पहलुओं पर हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया है। मुकदमे इस बात से संबंधित थे कि क्या 'दर्शन' की अनुमति मांगने के लिए दीवानी मुकदमा चलने योग्य था और क्या याचिका तर्कसंगत आधार पर आधारित थी।
2. जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने आदेश दिया कि हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर मुकदमा, पूजा के स्थान अधिनियम द्वारा प्रतिबंधित नहीं है। 4 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान हिंदू उपासकों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा था कि जो लोग [पूजा के स्थान] अधिनियम 1991 का जिक्र कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि अगर वहां शिवलिंग मिलता है जो सालों पुराना है, तो अधिनियम लागू नहीं होता है। हम इस मामले को कोर्ट में पेश करेंगे। न्यायाधीश विश्वेश ने कहा कि मंदिर के परिसर के भीतर, या बाहर स्थापित मूर्तियों की पूजा के अधिकार का दावा करने वाले मुकदमे के संबंध में अधिनियम द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई थी।
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3. न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी अर्थात मस्जिद समिति यह साबित करने में विफल रही कि वादी का वाद उत्तर प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 द्वारा वर्जित है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि हिंदू पक्ष का वाद उत्तर प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 (1983 का अधिनियम संख्या 29) द्वारा वर्जित है. अधिनियम की धारा 5 में यह घोषणा की गई है कि मंदिर का स्वामित्व और उसकी बंदोबस्ती श्री काशी विश्वनाथ के देवता में निहित होगी।
4. वाराणसी जिला अदालत ने माना कि हिंदू उपासकों द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देने वाले प्रतिवादियों, यानी मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन खारिज किए जाने योग्य है।
5. वाराणसी जिला न्यायालय ने माना है कि पूजा के अपने अधिकार का दावा करने वाले हिंदू पक्षों द्वारा दायर किए गए मुकदमे की सुनवाई गुणदोष के आधार पर की जा सकती है। अदालत ने कहा कि मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगने वाले दीवानी वाद की सुनवाई गुणदोष के आधार पर की जा सकती है।
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