ज्ञानवापी मामले पर अदालत के फैसले के बाद बोलीं उमा भारती, हमें उत्तेजित नहीं होना है
उमा भारती ने कहा कि मेरी अपील है कि ये जो याचिका है इसपर हमें उत्तेजित नहीं होना है। मुस्लिम और हिंदू समाज में अंतर है, हिंदू समाज देवी देवताओं के खिलाफ सुन सकता है, मुस्लिम अपने नबी के खिलाफ नहीं सुन सकते।
भोपाल। ज्ञानवापी मामले पर उमा भारती नें कहा की आज मेरे लिए पित्र पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय सुनने को मिला है कि ज्ञानवापी पर याचिका सुनवाई के योग्य है। ये प्रसन्नता का विषय है, काशी मथुरा अयोध्या हमारे हृदय के विषय हैं, 1991 के एक्ट का पालन हो रहा है। जब ये विधेयक आया तो मैं इसमें प्रमुख वक्ता थी, मैंने तब भी कहा था, इसमें अयोध्या को जोड़ा गया है, कृपया मथुरा और काशी को जोड़ा जाए। लेकिन तब ऐसा नहीं होने पर हमने इसका बहिष्कार किया था। मैं चाहती हूं कि ये याचिका शुरुआत है, जब राम मंदिर की बात हुई तो फैसला सबने सुना आगे भी ऐसा हो।
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उमा भारती ने कहा कि मेरी अपील है कि ये जो याचिका है इस पर हमें उत्तेजित नहीं होना है। मुस्लिम और हिंदू समाज में अंतर है, हिंदू समाज देवी देवताओं के खिलाफ सुन सकता है, मुस्लिम अपने नबी के खिलाफ नहीं सुन सकते। इस देश में मुस्लिम बड़ी संख्या में रहते हैं। मेरे पास जो संख्या है उसके हिसाब से वो अल्पसंख्यक नहीं कहलाएंगे लेकिन वो हैं। मैंने कहा था कि आक्रांताओं की यादें जब तक रहेंगी, तब तक शांति नहीं रह सकतीं। उमा भारती ने कहा कि मैं चाहती हूं कि मथुरा का मामला भी सामने आए। ये मामला भी न्यायालय में सुना जाए और उसका भी निर्णय हो।
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