बच्चों को संस्कृत अवश्य पढ़ानी चाहिए: राजनाथ सिंह
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ ने बच्चों को संस्कृत आवश्यक रूप से पढ़ाने की सलाह देते हुए आज कहा कि बिना संस्कृत साहित्य पढ़े भारत की संस्कृति, परंपरा और विरासत की जानकारी नहीं हो सकती।
लखनऊ। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बच्चों को संस्कृत आवश्यक रूप से पढ़ाने की सलाह देते हुए आज कहा कि बिना संस्कृत साहित्य पढ़े भारत की संस्कृति, परंपरा और विरासत की जानकारी नहीं हो सकती। राजनाथ ने यहां एक स्कूल के उद्घाटन के मौके पर आयोजित समारोह में कहा, ‘‘यदि सचमुच बच्चों को भारत की संस्कृति, परंपरा और विरासत से परिचित कराना चाहते हैं तो बिना संस्कृत साहित्य पढ़े इसकी गहरायी से जानकारी नहीं हो सकती।’’
उन्होंने कहा कि इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है कि संस्कृत में बच्चों की आस्था कैसे हो। बच्चों की संस्कृत से अलग पहचान बनेगी। संस्कृत ग्रन्थों में ज्ञान विज्ञान सब कुछ है। राजनाथ सिंह ने कहा कि आजकल ज्ञान का जहां तक प्रश्न है, तो इंटरनेट पर एक दो घंटे रोज सर्फिंग की जाए तो 20 से 25 दिन में किसी भी विषय का ज्ञान हो जाता है। लेकिन मनुष्य जीवन में ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत सारे ऐसे आतंकवादी हैं, जिनके बारे में सुना होगा कि उन्होंने टेक्निकल डिग्री हासिल की है। उन्होंने ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। किसी विषय का ज्ञान उनके पास भी है। शातिर बदमाश के पास भी किसी विषय का ज्ञान होता है। लेकिन मनुष्य के जीवन में ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है बल्कि चरित्र का निर्माण महत्वपूर्ण है जो संस्कारों के माध्यम से होता है। संस्कार के बिना ज्ञान समाज के लिए कभी कल्याणकारी नहीं हो सकता।’’ गृहमंत्री ने कहा कि बच्चों का चरित्र निर्माण केवल शिक्षा लेने से नहीं हो सकता बल्कि दीक्षा के माध्यम से होता है। मनुष्य की जिन्दगी में दीक्षा बहुत जरूरी है। सोच, दिशा, मूल्य, सिद्धांत को मिलाकर मनुष्य दीक्षित होता है और उसके व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है।
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