केरल विधानसभा ने पशु प्रतिबंध को ‘फासीवादी’ कदम बताया

[email protected] । Jun 8 2017 5:19PM

पशु बाजार में पशुवध के लिये पशुओं की बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध का विरोध करते हुए केरल विधानसभा में एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ ने हाथ मिलाया और इस कदम को ‘‘फासीवादी’’ कदम करार दिया।

तिरूवनंतपुरम। पशु बाजार में पशुवध के लिये पशुओं की बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध का विरोध करते हुए केरल विधानसभा में आज सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ ने हाथ मिलाया और केंद्र के इस कदम को ‘‘फासीवादी’’ कदम करार दिया। विधानसभा का एक दिन का यह सत्र विशेष तौर पर पशु प्रतिबंध अधिसूचना पर चर्चा के लिये बुलाया गया था। इस दौरान सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी यूडीएफ ने यह विचार रखा कि यह ना केवल राज्य के अधिकारों में ‘‘अनुचित हस्तक्षेप’’ है बल्कि यह लोगों को उनके पसंद के भोजन करने के अधिकारों का भी ‘‘अतिक्रमण’’ करता है।

सदन ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से अधिसूचना वापस लेने के लिये कहा। इस दौरान भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजागोपाल असहमत दिखे। दोनों पक्षों से सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार को निशाना बनाया और इस प्रतिबंध को ‘‘फासीवादी’’ कदम करार दिया। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी पर बुधवार को नयी दिल्ली में ए के जी केंद्र में हुए हमले की गूंज भी विधानसभा में सुनने को मिली। पार्टी सदस्यों ने आरोप लगाया कि संघ परिवार ‘‘बाहुबल’’ के माध्यम से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ‘‘खामोश’’ करने की कोशिश कर रहा है। दोनों पक्षों के सदस्यों ने कहा कि पशु बाजार में पशुवध के लिये उनकी बिक्री पर प्रतिबंध ना केवल सांप्रदायिक है बल्कि यह निश्चित तौर पर कामगार वर्ग एवं किसान विरोधी है। उन्होंने कहा कि इसलिए इसे वापस लिया जाये।

दोनों पक्षों ने आरोप लगाया कि यह कदम मांस कारोबार क्षेत्र का कॉरपोरेटीकरण करने वाला प्रयास है जो छोटे एवं मध्यम आय वाले किसानों के अतिरिक्त आय का स्रोत था। राजागोपाल ने कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ का विधानसभा में एकसाथ आना ‘‘महागठबंधन’’ का संकेत है जो राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबले के लिये गठित की गयी है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मकसद से सदन का ‘‘गलत’’ इस्तेमाल किया गया क्योंकि केंद्र ने पहले ही स्पष्ट किया था कि राज्यों से मिले सुझाव के बाद वह अधिसूचना में बदलाव करने के लिये तैयार है। प्रस्ताव पारित करते हुए मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने केंद्र की आलोचना की और कहा कि यह प्रतिबंध संघ परिवार का राजनीतिक एजेंडा लागू करने के लिये था। उन्होंने कहा, ‘‘अपने किसी वादे को पूरा करने में नाकाम राजग सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिये पशुवध जैसे मुद्दों के जरिये सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर लोगों में फूट डालना चाहती है।’’

राज्य के मांस कारोबार पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केरल में सालाना 6,552 करोड़ रुपये के करीब ढाई लाख टन मांस की बिक्री होती है। विजयन ने महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में किसानों के विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र किया और कहा कि समुदाय पहले ही संकट में है और यह नया फैसला इनकी चिंता और बढ़ाने वाला है। इस अधिसूचना को मोदी सरकार की ‘‘नोटबंदी’’ की तरह एक और ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ बताते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीतला ने कहा कि यह देश में ‘‘फासीवाद’’ के आने का संकेत है। विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिसूचना के पीछे कोई ‘‘अप्रत्यक्ष हित’’ जुड़ा है।

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