Supreme Court के फैसले को केजरीवाल ने बताया ऐतिहासिक, बोले- अब दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कुछ दिनों में बहुत बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में जनता के काम रोके, ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरनिंद केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन किया। इस दौरान उन्होंने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया। केजरीवाल ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है वो दिल्ली की जनता के सहयोग का नतीजा है। अब हमें दिल्ली के लोगों को रिस्पॉन्सिव प्रशासन देना है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। केजरीवाल ने कहा कि जैसे ही हमारी सरकार बनी प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार से एक आदेश पारित कराया कि दिल्ली में काम करने वाले सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और नौकरी से संबंधित सभी फैसले दिल्ली सरकार के पास नहीं रहेंगे। यानी अगर कोई रिश्वत ले रहा है तो हम उन्हें निलंबित भी नहीं कर सकते। इस आदेश का इस्तेमाल करके दिल्ली में कामों को जबरदस्ती रोका गया।
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अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कुछ दिनों में बहुत बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में जनता के काम रोके, ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा। अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘‘लोकतंत्र की जीत’’ करार दिया। ‘आप’ ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते। दिल्ली सरकार की उच्चतम न्यायालय में बड़ी जीत हुई। चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन की शक्ति होगी। अधिकारी निर्वाचित सरकार के माध्यम से ही काम करेंगे।’’ पार्टी ने कहा कि दिल्ली की जनता के काम रोकने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए उपराज्यपाल का अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं होगा।
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केजरीवाल ने ‘‘दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने’’ के लिए उच्चतम न्यायालय को ‘‘हार्दिक धन्यवाद’’ दिया और कहा कि इससे विकास की गति कई गुना बढ़ जाएगी। सेवाओं पर अधिकार के मुद्दे पर केंद्र बनाम दिल्ली सरकार के मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है। उसने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के फैसले से असहमति जतायी कि शहर की सरकार का सेवाओं के मामले पर कोई अधिकार नहीं है। गौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और शासकीय शक्तियों से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया था।
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